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पुनः प्रमाणित हुई भारतीय वैज्ञानिकों की प्रतिभा

  डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

भारत के वैज्ञानिकों,सेना डीआरडीओ आदि ने कोरोना से मुकाबले में उल्लेखनीय योगदान दिया है। वैज्ञानिकों ने कोरोना वैक्सीन का निर्मांण किया। डीआरडीओ व सेना ने स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने का कार्य किया। उनके द्वारा न्यूनतम समय में अनेक स्थानों पर सभी सुविधाओं से युक्त कोविड़ अस्पतालों का निर्माण किया गया।

इसी क्रम में डीआरडीओ की एंटी कोविड दवा 2-डीजी बनाई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इनकी पहली खेप रिलीज की। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ और डीआरएल की 2-डीऑक्सी-डी- ग्लूकोज 2-डीज प्रभावी सिद्ध होगी। यह हमारे देश के वैज्ञानिकों की क्षमता का एक बड़ा उदाहरण है।  डीआरडीओ और इस ड्रग की अनुसंधान एवं विकास से जुड़ी सभी संस्थाओं का यह अमूल्य योगदान है। सेना के द्वारा ऑक्सीजन सिलेंडर,ऑक्सीजन टैंकर और दवाओं की आपूर्ति को सुनिश्चित बनाया। ज्यादा डोर टु डोर कोरोना के परीक्षण किये जा रहे हैं और आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सभी आवश्यक चिकित्सा उपकरणों से लैस किया गया है।

सेना के मेडिकल कोर ने अपने सेवानिवृत्त डॉक्टरों को भी दुबारा सेवा में लाने का निर्णय लिया है। ताकि हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था को और अधिक मज़बूती दी जा सके। बड़ी संख्या में चिकित्सक सेवानिवृत्त होने के बाद भी इस राष्ट्र अभियान से जुड़ रहे हैं।

रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि देश की वायुसेना और नौसेना के जहाजों ने भी बड़ी संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर, कंटेनर्स, कंसंट्रेटर्स, टेस्ट किट्स के ट्रांसपोर्टेशन में अपनी भूमिका निभाई है। सैन्य अस्पतालों में भी इलाज की सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया गया है।

इन सब कठिनाइयों से गुजरते हुए भी हमने यह सुनिश्चित किया है कि सीमा पर हमारी तैयारियों पर कोई प्रभाव न पड़े। अब तक हम डिफेंस के क्षेत्र में डीआरडीओ और प्राइवेट पार्टनरशिप की बात होती थी। आज हेल्थ के सेक्टर में भी डीआरडीओ और प्राइवेट सेक्टर की पार्टनरशिप का भी सकारात्मक परिणाम मिल रहा है।

बताया गया कि इस दवा के प्रयोग से सामान्य उपचार की अपेक्षा लोग ढाई दिन जल्दी ठीक हुए हैं। साथ ही ऑक्सीजन पर भी लगभग चालीस प्रतिशत तक कम निर्भरता देखने को मिली है। इसका पाउडर फॉर्म में होना भी इसकी एक बड़ी खासियत है। इसे पानी में घोलकर बड़ी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकेगा। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.हर्षवर्धन ने कहा रक्षा क्षेत्र के आउटकम के तहत ये पहली स्वदेशी दवा है। यह कोविड वायरस के प्रकोप को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कम करने की पूरी क्षमता रखती है।

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