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शारीरिक संबंध बनाने में अक्षम थी पत्नी तो दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा पति व लगाए ये आरोप…

पत्नी पर शारीरिक संबंध बनाने में अक्षम होने का झूठा आरोप लगाने वाले व्यक्ति को दिल्ली हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। आरोपित ने अदालत में गलत बयान दिया था कि उसकी पत्नी शारीरिक संबंध बनाने में सक्षम नहीं है।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैट की पीठ ने कहा कि इस तरह के अधिकांश मामले में अदालत आरोपित को अग्रिम और नियमित जमानत देती है, लेकिन इस मामले में पति के आचरण को देखते हुए उसे राहत नहीं दी जा सकती है। आरोपित ने अपनी पत्नी द्वारा दायर मुकदमे में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी। महिला ने आरोपित के खिलाफ दिसंबर 2018 में विभिन्न धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसका आरोप था कि वह और उसके परिजन उसे शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित और मारपीट करते थे।

लंबित मामले के दौरान न्यायमूर्ति के चैंबर में आरोपित ने कहा था कि पहले दोनों के बीच प्यार हुआ फिर शादी। लेकिन, उनके बीच शारीरिक संबंध नहीं बना। हालांकि, उसकी पत्नी ने दावा किया कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने थे और वह ऐसा करने में सक्षम थी। जब पीठ ने महिला से पूछा कि वह अपने पति के साथ रहना चाहती है तो उसने हां में जवाब दिया, जबकि पुरुष ने यौन संबंध बनाने में महिला को अक्षम बताते हुए आगे संबंध नहीं रखने की बात कही थी। इस पर पीठ ने एम्स और राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षकों को महिला की जांच करने का निर्देश दिया था।

मेडिकल रिपोर्ट में आया कि महिला शारीरिक संबंध बनाने में सक्षम थी। रिपोर्ट के बाद आरोपित महिला के साथ रहने का तैयार हो गया और दोनों 24 दिन साथ रहे। याचिकाकर्ता ने अदालत में स्वीकार किया कि इन 24 दिनों में उन्होंने शारीरिक संबंध बनाया। इसके बाद पीठ ने कहा कि जब आरोपित ने स्वीकार किया कि इन दिनों में दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने तो फिर शादी के बाद उनके बीच एक बार भी ऐसा न हुआ हो ऐसा मानना संभव नहीं है। लिहाजा पत्नी द्वारा दायर मुकदमे में आरोपित द्वारा मांगी गई अग्रिम जमानत याचिका खारिज की जाती है।

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