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बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को लगाईं फटकार, कहा :’मूर्तियों के लिए पैसा है लेकिन…’

बंबई उच्च न्यायालय ने महिलाओं और बच्चों के वाडिया अस्पताल को आर्थिक मदद देने से हाथ खींचने पर गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि उसके पास मूर्तियों के लिए पैसा है लेकिन जन स्वास्थ्य के लिए नहीं। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी और न्यायामूर्ति आरआई छागला की अदालत ने यह टिप्पणी एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान की जिसमें बृह्न्मुंबई महापालिका (बीएमएसी) और राज्य सरकार को क्रमश: बाई जेरबाई वाडिया बाल अस्पताल और नौरोसजी वाडिया प्रसूति अस्पताल को आर्थिक मदद जारी करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

सरकारी वकील गिरिश गोडबोले ने अदालत को बताया कि वित्तविभाग ने आपात कोष से 24 करोड़ की राशि मंजूर की है और तीन हफ्ते में वाडिया प्रसूति अस्पताल को राशि जारी कर दी गई। इसपर अदालत ने कहा कि राशि शुक्रवार तक जारी की जानी चाहिए।

न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने कहा,” सरकार सरदार वल्लभ भाई पटेल से ऊंची बाबासाहेब आंबेडकरकी प्रतिमा स्थापित करना चाहती है। इन सब काम के लिए पैसा है लेकिन जिन लोगों का प्रतिनिधित्व आंबेडकर ने पूरी जिंदगी किया वे मरते रहे।” उन्होंने कहा, ” लोगों को बीमारियों के इलाज के लिए चिकित्सा सहायता चाहिए या मूर्ति।” पीठ ने कहा, ” सार्वजनिक स्वास्थ्य सरकार की कभी प्राथमिकता नहीं रही और मुख्यमंत्री पुलों के उद्घाटन में व्यस्त हैं। हमारा विचार है कि यह राजनीति का नया चेहरा है, नहीं तो ऐसे मामले अदालत नहीं आते।”

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