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घूंघट की ओट से निकल गांव की सूरत बदलने का नायाब गुर सीख रहीं प्रदेश की महिला ग्राम प्रधान

• लैंगिक असमानता की दहलीज को लांघते हुए अब वह मजबूती के साथ नेतृत्व प्रदान करने को हैं तत्पर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के मिशन शक्ति कार्यक्रम के तहत पंचायती राज विभाग के तत्वावधान में सेंटर फॉर कैटेलाइजिंग चेंज (सी-3) संस्था के सहयोग से इन महिला ग्राम प्रधानों को बाकायदा प्रशिक्षित किया जा रहा है।

घूंघट की ओट से निकल गांव की सूरत बदलने का नायाब गुर सीख रहीं प्रदेश की महिला ग्राम प्रधान

प्रशिक्षण के द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि महिला जनप्रतिनिधियों की प्रशासनिक ज़िम्मेदारियों, ग्राम सचिवालय की व्यवस्था, सचिवालय से जन सुविधा केन्द्र का संचालन जैसे मुद्दों पर अच्छी समझ बना सकें ताकि वह समझ सकें कि किस तरह से गाँव के समग्र विकास का खाका तैयार करना है और फिर उसे कार्यरूप देने के लिए अधिकारियों के सामने किस तरह से पेश करना है।

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इसके साथ ही साथ सतत् विकास लक्ष्यों को उनके स्थानीयकरण द्वारा ग्राम पंचायत के सहयोग से प्राप्त करना, स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता संबंधी सेवाओं की लगातार निगरानी को प्राथमिकता देने के लिए नेतृत्व कौशल और जानकारी प्रदान की जा सके।

घूंघट की ओट से निकल गांव की सूरत बदलने का नायाब गुर सीख रहीं प्रदेश की महिला ग्राम प्रधान

अपर मुख्य सचिव पंचायती राज मनोज कुमार सिंह का कहना है कि प्रायः यह देखा गया है कि महिलाएं गाँव के समग्र विकास, बुनियादी सुविधाओं और परिवार की सेहत को लेकर ज्यादा सजग रहती हैं। इसी सोच के साथ महिला ग्राम प्रधानों को इतना सशक्त बनाया जा रहा है ताकि वह पूरे गांव की सेहत, सुरक्षा और विकास का जिम्मा बखूबी निभा सकें।

पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थान (पीआरआईटी) द्वारा वर्तमान में 25 ज़िलों में चल रहे महिला प्रधानों के प्रशिक्षण में अभी तक लगभग 3693 महिला प्रधानों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

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