सर्दियों का मौसम है. इस समय देश के कई इलाकों में वायरल बुखार, फ्लू और निमोनिया के केस आ रहे हैं. इस मौसम में कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस एक्टिव हो जाते हैं. इससे ही ये बीमारियां होती है, लेकिन परेशानी यह है कि इन तीनों बीमारियों के कई लक्षण एक जैसे हैं.
फ्लू, निमोनिया और वायरल बुखार में खांसी-जुकाम और बुखार होता है. यही कारण है कि लोग इन बीमारियों की सही समय पर पहचान नहीं कर पाते हैं. लेकिन इन बीमारियों के लक्षणों में अंतर जानना जरूरी है. आइए इस बारे में डॉक्टरों से डिटेल में जानते हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि इस मौसम में फ्लू के काफी केस आ रहे हैं. बच्चों में भी निमोनिया के मामले दर्ज किए जा रहे हैं. कुछ लोगों में वायरल बुखार भी मिल रहा है. मौसम में हुए बदलाव की वजह से ये बीमारियां पनप रही हैं. इनके लक्षणों में अंतर जानना बहुत जरूरी है. क्योंकि अगर देरी हुई तो निमोनिया जैसी बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है.
निमोनिया और फ्लू में अंतर
सफदरजंग हॉस्पिटल में पूर्व सीनियर रेजिडेंट डॉ. दीपक कुमार सुमन बताते हैं कि फ्लू और निमोनिया के लक्षण में सबसे बड़ा अंतर सांस संबंधी समस्या है. फ्लू होने पर सांस लेने में परेशानी न के बराबर होती है, लेकिन निमोनिया में सांस लेने में समस्या होती है और इससे शरीर में ऑक्सीजन कमी कमी होने लगती है.
फ्लू होने पर सीने में दर्द नहीं होता है, लेकिन निमोनिया में सीन में दर्द होता है और इसके साथ खांसी के साथ काफी बलगम भी आ सकता है. निमोनिया से पीड़ित लोगों को थकान, भूख में कमी और ठंडा पसीना आने की समस्या भी होती है, लेकिन फ्लू में ठंडा पसीना नहीं आता है. फ्लू तीन से चार दिन में खुद ही ठीक हो जाता है, लेकिन अगर निमोनिया हो जाए और ये बैक्टीरियल निमोनिया है तो मरीज की हालत बिगड़ सकती है. समय पर ट्रीटमेंट न मिलने से मौत तक का खतरा रहता है.
वायरल बुखार और निमोनिया में क्या है अंतर
वायरल बुखार में हल्का फीवर होता है और सांस लेने में परेशानी या छाती में दर्द की समस्या नहीं होती है. वायरल बुखार किसी भी व्यक्ति को हो जाता है, लेकिन निमोनिया के अधिक मामले बच्चों और बुजुर्गों में ही आते हैं. 2 साल से छोटे बच्चों के लिए यह घातक हो सकता है.