अनियमित दिनचर्या व असुंतलित खान पान का सीधा प्रभाव आदमी के पेट पर दिखने लगता है. जुड़ीं डाक्टर मेधावी अग्रवाल के अनुसार, पेट की चर्बी देखने में बेकार तो लगती ही है लेकिन अपने आप में कष्टदायक भी है. साथ ही इसकी वजह से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी होती हैं. उदाहरण के तौर पर आपके पेट की गुहा (Abdominal cavity) में क्रोनिक सूजन का बढ़ना जिससे मधुमेह व दिल रोग होने का खतरा बढ़ता है.
पेट में वसा मुख्य रूप से, व्यायाम न करने, बेकार जीवनशैली, अधिक वसा युक्त व मीठे खाद्य पदार्थों के सेवन से एकत्रित होती है. आनुवंशिकता व कभी-कभी बढ़ती आयु भी इसका कारण होता है. इसलिए पेट का फैट कम करना थोड़ा कठिन ज़रूर है लेकिन नामुमकिन नहीं. ठीक समय पर संतुलित भोजन व व्यायाम पेट की चर्बी कम करने में सहायक होते हैं.
पेट की चर्बी बढ़ने से शरीर बेडौल दिखने लगता है. अनावश्यक फैट के कारण गंभीर बीमारियां भी घेर लेती हैं. पेट की चर्बी बढ़ने के कई कारण हैं जिसमें तनाव, धूम्रपान, बेकार खानपान, नींद पूरी न होना, कम शारीरिक श्रम आदि शामिल हैं. अब कारण कोई भी हो, यह तो तय है कि पेट की चर्बी किसी भी हालत में स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं. पेट का आवश्यकता से ज्यादा फैट दिल के दौरे का भी कारण बन सकता है. कई शोधों में साबित हुआ है कि पेट की चर्बी में उपस्थित कोशिकाएं दिल के दौरे, धमनियों के ब्लॉकेज आदि का जोखिम बढ़ा देती हैं. इतना ही नहीं पेट की चर्बी हड्डियों को भी नुकसान पहुंचा सकती है. इससे ऑस्टियोपोरोसिस होने कि सम्भावना है. पेट पर फैट्स जमा होने पर ऐसे हार्मोन बनते हैं जो हड्डियों को निर्बल करते हैं. पेट का फैट लिवर को भी नहीं बख्शता है.
पेट पर जमा चर्बी में विसेरल फैट्स होते हैं जो लिवर पर पहुंचने वाले रक्त के प्रवाह को ब्लॉक करते हैं व इससे लिवर डैमेज होने का जोखिम बढ़ता है. जिन लोगों के पेट पर ज्यादा चर्बी चढ़ी होती है, उन्हें टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम सबसे ज्यादा होता है. इसका कारण यह है कि शरीर में उपस्थित विसेरल फैट इंसुलिन के उत्पादन में बाधा डालता है.
एक बड़ा जोखिम डिप्रेशन का भी होता है. पेट की चर्बी शरीर के हेल्दी न्यूरोट्रांसमीटर फंक्शन पर बेकार असर डालती है. हार्मोन में परिवर्तन होते हैं जिससे मूड स्विंग की स्थिति बनती है. अगर यह लंबे समय तक रहे तो आदमी डिप्रेशन का शिकार होने कि सम्भावना है. बहरहाल, अच्छी बात यह है कि पेट की चर्बी घटाने के लिए आप ये सरल कार्य कर सकते हैं. अपने आहार में परिवर्तन करने से पहले अपने चिकित्सक या डायटीशियन से सलाह ले सकते हैं.