आप कभी ना कभी टूटते तारे को देखे होंगे. कभी ना कभी आसमान में उल्कापिंड का बरसात देखे होंगे. आप ने कभी कभी उल्कापिंड के जमीन पर गिरने के बारे में भी सुना होगा.
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इन सबके बीच हैरान करने वाली खबर है, एक वेबसाइड ते मुताबिक बेनू नाम का उल्कापिंड धरती पर तबाही मचाने के लिए तैयार है, वैसे तो यह हर 6 साल में धरती के बेहद करीब से गुजरता है लेकिन वो दिन भी आ सकता है कि जो धरती को अपनी नजरों से नहीं देखेगा बल्कि जोरदार टक्कर मारेगा, टक्कर इतनी भयावह होगी जो करीब 22 परमाणु बमों के विस्फोट के बराबर होगी. आप खुद तबाही का अंदाजा लगा सकते हैं, उस राक्षस या उल्कापिंड का नाम बेन्नू है.
बेन्नू से खतरा
धरती को सबसे बड़ा खतरा उल्कापिंड से होता है. उल्कापिंड बेन्नू धरती की तरफ तेजी से आ रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यह धरती से टकराता है तो 22 परमाणु बम के बराबर धमाका होगा और उससे होने वाली तबाही का अंदाजा आप लगा सकते हैं, करीब हर 6 साल के बाद कोई ना कोई उल्कापिंड धरती के करीब से निकलते हैं.
ज्यादातर उल्कापिंज घर्षण की वजह से ऊपरी वायुमंडल में खत्म हो जाते हैं, डेलीस्टार वेबसाइट के मुताबिक बेन्नू नाम का उल्कापिंड हर 6 साल में धरती के बेहद करीब से गुजरता है हालांकि159 साल बाद यह धरती से टकराएगा. 24 सितंबर 2182 को धरती से टकराने की आशंका है. हालांकि नासा इस प्रयास में बेन्नू उल्कापिंड के दिशा में बदलाव किया जा सके.
4.5 बिलियन साल में धरती से 190 बार टक्कर
यदि बेन्नू ने धरती को टक्कर मारी तो 1200 मेगाटन टीएनटी के बराबर ऊर्जा निकलेगी जो 1945 में हिरोशिमा पर गिराया गया लिटिल बॉय परमाणु बम लगभग 0.015 मेगाटन टीएनटी से कई सौ गुना अधिक है. नासा का कहना है कि 2036 में क्षुद्रग्रह पृथ्वी से नहीं टकराएगा. 2036 में यह उल्कापिंड पृथ्वी की सतह से लगभग 19,000 मील (31,000 किलोमीटर) ऊपर से गुजरेगा. यह चंद्रमा से दूरी का लगभग दसवां हिस्सा है.
पृथ्वी ग्रह 4.5 अरब वर्षों से भी अधिक समय से अस्तित्व में है और अपने इतिहास के दौरान यह कम से कम 190 बार क्षुद्रग्रहों से टक्कर हुई है. लेकिन ऐसे तीन विशेष अवसर थे जब क्षुद्रग्रह इतना बड़ा था और इससे बना प्रभाव गड्ढा इतना व्यापक था. वैज्ञानिकों को यकीन है कि इससे मानवता समाप्त हो गई होगी.