लखनऊ। जन संस्कृति मंच की ओर से लेखक और पत्रकार अनिल सिन्हा के स्मृति दिवस की पूर्व संध्या पर ‘अनिल सिन्हा स्मृति व्याख्यान’ का आयोजन करन भाई सभागार, गांधी भवन में आज हुआ। इसका विषय था ‘भारतीय चित्रकला का सच’ और मुख्य वक्ता थे प्रसिद्ध चित्रकार और कला समीक्षक अशोक भौमिक (Ashok Bhowmik)। इस मौके पर उन्होंने अनिल सिन्हा से जुड़े मार्मिक संस्मरण सुनाए।
भारतीय चित्रकला के संदर्भ में अशोक भौमिक ने कहा कि भारतीय कला परंपरा का विकास संकीर्णता के दायरे में नहीं हुआ है। इसके विपरीत इसका इतिहास उदार और निर्भीक कल-कर्म का उदाहरण है। हजार वर्षों की कला परंपरा में कलाएं अलग-थलग होकर नहीं बल्कि समाज और समय के साथ तथा अन्य कलाओं के संपर्क में आगे बढ़ी हैं और अपनी परंपरा का निर्माण किया है। इसलिए आधुनिक कला को इससे काट कर नहीं देखा जा सकता है।
अशोक भौमिक का आगे कहना था कि चित्रकला भारतीय जीवन और जन संघर्षों से आवेग लेती हुई आगे बढ़ी है। इसी क्रम में स्वतंत्रता आंदोलन और जन संघर्षों से उसने गहरा असर लिया है। यह प्रतिरोध की कला और कलाकारों के कलाकर्म से हमें परिचित कराती है। उनका यह भी कहना था कि आजादी के बाद सत्ता प्रतिष्ठानों में कला के लिए मिले स्पेस तथा अभिजन प्रवृत्ति ने कला को यथार्थ से दूर और जन विमुख किया है।
यहां कला के लिए बाजार है। अभिजन वर्ग के ड्राइंग रूम में कला पहुंची। उनके लिए स्टेटस का सिंबल बनी। कला दीर्घाओं में आयोजित कल प्रदर्शनियां, अति महंगी कलाकृतियां और उसका बढ़ते बाजार ने अंततः कला को तथा कलाकार को बाजार के बिकाऊ माल में परिवर्तित कर दिया है। यह दौर भारतीय कला का आत्मसम्मान विहीन दौर है।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता आर्ट्स कॉलेज के कला अध्यापक व मूर्तिकार धर्मेन्द्र कुमार ने की। आरंभ में भगवान स्वरूप कटियार ने अनिल सिन्हा पर लिखी कविता सुनाई । इस मौके पर साहित्यकार व सोशल एक्टिविस्ट वन्दना मिश्र ने अनिल सिन्हा को याद किया। जन संस्कृति मंच के सालाना जलसा के पहले सत्र में व्याख्यान का आयोजन था।
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दूसरा सत्र सांस्कृतिक कार्यक्रम का था। जन गीतकार डीपी सोनी, लोकगायक ब्रजेश यादव, इप्टा उत्तर प्रदेश के महामंत्री शहजाद रिजवी और अरविन्द ने अपनी गायकी से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। पहले सत्र का संचालन कला अध्यापक आलोक कुमार और दूसरे सत्र का संचालन मीडियाकर्मी कलीम खान ने किया। सभी का स्वागत व धन्यवाद ज्ञापन जसम लखनऊ के सचिव फरजाना महदी ने किया।