रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नकदी संकट से जूझ रहे लक्ष्मी विलास बैंक पर पहले कई तरह की पाबंदियां लगाईं और जिसके बाद उसके डीबीएस बैंक में विलय की घोषणा कर दी। मिली जानकारी के अनुसार 94 साल पुराने लक्ष्मी विलास बैंक का नाम आज खत्म हो जाएगा। सिंगापुर के सबसे बड़े DBS बैंक के साथ इसका मर्जर हो जाएगा। इसके शेयर एक्सचेंज से डीलिस्ट हो जाएंगे।
वहीं एलवीएस का नाम बदलने के बाद बैंक के ग्राहकों और कर्मचारियों का क्या होगा। इस बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि बैंक के 20 लाख ग्राहकों को राहत मिलेगी। वे शुक्रवार से अपने खातों को डीबीएस बैंक इंडिया के ग्राहकों के तौर पर ऑपरेट कर सकेंगे।
बेलआउट पैकेज के तहत लक्ष्मी विलास बैंक के जमाकर्ताओं को उनका पूरा पैसा मिल जाएगा। वहीं बैंक ने अपने ग्राहकों को भरोसा दिया था कि मौजूदा संकट का उनकी जमाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बैंक ने कहा था कि 262 फीसदी के तरलता सुरक्षा अनुपात (LCR) के साथ जमाकर्ता, बॉन्डधारक, खाताधारक और लेनदारों की संपत्ति पूरी तरह सुरक्षित है।