उत्तर प्रदेश में चुनाव के समय नेताओं की कई तरह की तस्वीरें सामने आ रही हैं| कहीं इन तस्वीरों को लेकर विवाद बढ़ता है, तो कहीं यह तस्वीरें नेता को आत्मबल प्रदान करती हैं। याद कीजिए कुछ दिनो पूर्व का वह लम्हा, जब समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बैठक के दौरान, अपना दल (कमेरावादी पार्टी) की अध्यक्षा और पटेलों के बड़े नेता रहे स्वर्गीय सोनेलाल पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल को अपनी कुर्सी पर बैठाकर सम्मान दिया था। तब अखिलेश के संस्कारी होने को लेकर नई चर्चा छिड़ गई थी। पटेल समाज भी अखिलेश के इस व्यवहार से गद्गद था लेकिन, अब पता चला है कि वह सब अखिलेश का दिखावा था। दरअसल सपा प्रमुख कृष्णा पटेल को सम्मान नहीं दे रहे थे बल्कि, वह ऐसा करके पटेल वोटरों को साधना चाहते थे। इसी लिए सीटों के बंटवारे के समय अखिलेश के कथित संस्कार तार-तार हो गए।
क्या है अपना दल (K) समाजवादी पार्टी के बीच दरार की वजह?
पहले चरण की वोटिंग में जब हफ्ते भर से भी कम का समय बचा है, तब अपना दल कृष्णा पटेल और सपा के बीच दरार गहरा गई है। सपा गठबंधन का हिस्सा अपना दल
(K) ने अपने हिस्से की सीटें सपा को वापस लौटा दी हैं। अपना दल से अलग होकर बनी कृष्णा पटेल की इस पार्टी को गठबंधन के तहत, जो सीटें दी गई थीं, वह अपना दल (कमेरावादी पार्टी) को जिताऊ नजर नहीं आ रही थीं। इसके साथ ही सपा ने जितनी सीटें अपना दल (K) को दी थीं, वह भी समझौते से काफी कम थीं। समझौते के तहत अपना दल (K) को 18 सीटें मिलने की बात तय हुई थी, जिनमें से उसने अपने 7 उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं,लेकिन अब वह बाकी सीटें वापस करने की बात कह रही है। दोनों दलों के बीच विवाद तब शुरू हुआ, जब सपा ने इलाहाबाद पश्चिम सीट से अमरनाथ मौर्य को अपने उम्मीदवार के तौर पर उतार दिया। इस लिस्ट को अपना दल(K) के खाते में ही दिया गया था। इसके अलावा समाजवादी पार्टी की ओर से पल्लवी पटेल को अपने सिंबल पर सिराथू सीट से उतारा गया है। इस फैसले से कौशांबी जिले के सपा नेताओं में ही नाराज़गी देखी जा रही है। इलाहाबाद पश्चिम सीट पर उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद अपना दल(K) ने सभी बाकी सीटों को लौटाने का फैसला लिया है। अब तक अपना दल(K) को जो सीटें दी गई थीं, उनमें वाराणासी की रोहनिया, पिंडारा, जौनपुर की मड़ियाहूं, मिर्जापुर की एक सीट और सोनभद्र की घोरावाल सीट और प्रतापगढ़ सदर सीट शामिल हैं। इनमें से ही एक सीट इलाहाबाद पश्चिम की थी, जिसमें 27 फरवरी को पहले राउंड को मतदान होना है। अब इस पर सपा की ओर से उम्मीदवार उतारे जाने से मतभेद बढ़ गए हैं।
राष्ट्रीय महासचिव (अपना दल) नहीं चाहते गठबंधन में रहे कोई विवाद
अपना दल(K) के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा, “हम नहीं चाहते कि गठबंधन में किसी तरह का विवाद या भ्रम रहे। इसलिए हमने सभी सीटों को वापस करने का फैसला लिया है, जो सपा ने अपना दल को लड़ने के लिए दी थीं। सपा उन सीटों पर अपने उम्मीदवार तय कर ले, जिन्हें वह चाहती है। यदि किसी सीट पर कोई विवाद नहीं रहता है तो फिर हमें वह दी जाए।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वे सपा के साथ बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि यदि सपा एक भी सीट न दे तो भी हम उसके साथ रहेंगे और अखिलेश यादव के लिए प्रचार करेंगे। इसकी वजह यह है कि हमारी लड़ाई पिछड़े वर्गों के लिए है। उन्होंने कहा कि हमने अपनी पार्टी की ओर से सीटें लौटाने के फैसले की जानकारी उदयवीर सिंह को दे दी है, जो दोनों दलों के बीच गठबंधन को देख रहे हैं। हमें अब सपा की ओर से जवाब का इंतज़ार है। हालांकि, सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि उन्हें अपना दल(K) की ओर से लिए गए फेसले के बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन, यह तय है कि हमारे बीच गठबंधन पहले की तरह ही बना रहेगा।