देश में लगभग सात करोड़ लोग साइलेंट किलर कहे जाने वाली बीमारी डायबिटीज से लड़ रहे हैं. इसीलिए भारत को दुनिया की डायबिटीज कैपिटल भी कहा जाता है. ‘सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन’ (CDC) के मुताबिक, ये एक ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज को अपनी लाइफस्टाइल को सही रखने की बहुत जरूरत होती है.
अगर आपको डायबिटीज है तो लाइफस्टाइल में थोड़ा सा बदलाव कर टाइप-2 डायबिटीज को दूर रखा जा सकता है. हालांकि अनहेल्दी लाइफस्टाइल से अलग, ऐसी बहुत सी बातें हैं जो शरीर में इस बीमारी के खतरे को ट्रिगर कर सकती हैं. डॉक्टर्स की मानें तो आपका ब्लड ग्रुप भी इनमें से एक कारक हो सकता है.
यूरोपियन एसोसिएशन के जर्नल डायबिटोलॉजिया में साल 2014 में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, नॉन ‘ओ’ ब्लड ग्रुप के लोगों में टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा ‘ओ’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों की तुलना में अधिक होता है.
ब्लड ग्रुप और टाइप-2 डायबिटीज के बीच कनेक्शन को समझने के लिए एक स्टडी में तकरीबन 80,000 महिलाओं को शामिल किया गया. इसमें से कुल 3,553 महिलाएं टाइप-2 डायबिटीज का शिकार पाई गईं. नॉन-ओ ब्लड ग्रुप की महिलाओं में इस बीमारी के होने का खतरा ज्यादा देखा गया.
स्टडी की मानें तो ‘ए’ ब्लड ग्रुप वाली महिलाओं में टाइप-2 डायबिटीज होने की संभावना ‘ओ’ ब्लड ग्रुप की महिलाओं से 10 प्रतिशत ज्यादा थी. हालांकि, इनमें सबसे ज्यादा खतरा ‘बी’ ब्लड ग्रुप की महिलाओं में ही देखा गया.
‘बी’ ब्लड ग्रुप की महिलाओं में इस बीमारी के बढ़ने का खतरा ‘ओ’ ब्लड ग्रुप वाली महिलाओं से 21 प्रतिशत ज्यादा था. जब सभी ब्लड ग्रुप की ‘ओ नेगाटिव’ से तुलना की गई, जो कि एक यूनिवर्सल डोनर भी है तो पता लगा कि ‘बी पॉजिटिव’ ब्लड ग्रुप के लोगों में टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा सबसे ज्यादा था.
शोधकर्ताओं के मुताबिक, डायबिटीज और ब्लड टाइप के बीच संबंध अभी तक एक रहस्य है. हालांकि इसकी कई वजह हो सकती हैं. स्टडी के अनुसार, खून में नॉन-विलेब्रैंड नाम का एक प्रोटीन नॉन ‘ओ’ ब्लड ग्रुप के लोगों में अधिक होता है, जिसे ब्लड शुगर लेवल से जोड़कर देखा जाता है.
शोधकर्ता ये भी कहते हैं कि इन सभी ब्लड ग्रुप का संबंध ऐसे कई अणुओं से होता है, जो टाइप-2 डायबिटीज से जुड़े होते हैं. यदि किसी व्यक्ति को टाइप-2 डायबिटीज है तो ये उनके शरीर को रेगुलेट और शुगर के इस्तेमाल को प्रभावित करती है. इससे शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ता है. समय पर इलाज न होने से ये बीमारी बेहद खतरनाक रूप ले सकती है.
महिलाओं में डायबिटीज का खतरा ज्यादा- एक अन्य स्टडी में कहा गया है कि महिलाओं के पूरे जीवनकाल में इस बीमारी के होने का खतरा ज्यादा रहता है. 60 साल के महिला और पुरुष जिन्हें डायबिटीज नहीं है, उनमें भी यह बीमारी होने का खतरा क्रमश: 38 और 28 प्रतिशत है.
मोटे लोग भी रहें सावधान- शहरों में रह रहे मोटे लोगों को भी रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि 20 साल के आयु वर्ग वाले 86 प्रतिशत मोटे पुरुषों को डायबिटीज हो सकती है. जबकि महिलाओं में इसका खतरा पुरुषों से एक प्रतिशत ज्यादा है.