कामदगिरि पीठाधीश्वर रामस्वरूपाचार्य की रामकथा शाम 7 बजे, कल होगा विशाल भंडारे का आयोजन
बिधूना/औरैया। लोक कल्याण के लिए कस्बा के सुप्रसिद्ध वनखण्डेश्वर मंदिर परिसर में आयोजित हो रहे 108 कुंडीय मृत्युंजय मां पीतांबरा महायज्ञ का आज अंतिम है। यज्ञ में शामिल होकर हजारों पुरुष महिलाएं पूर्ण आहुति डाल रहे हैं। मां राजराजेश्वरी के एतिहासिक महामहोत्सव के अंतिम दिन बुधवार को विशाल भंडारे का आयोजन होगा।
यज्ञ स्थल वनखण्डेश्वर महादेव मंदिर से बीते सप्ताह सोमवार (04 नवम्बर) को डीजे, बैंड-बाजा व विभिन्न झांकियों के साथ विशाल कलश यात्रा निकलने के साथ दूसरे दिन से यज्ञोपवीत के उपरांत 108 कुंडीय मृत्युंजय मां पीताम्बरा महायज्ञ शुरू हुआ था। जिसके बाद मंगलवार (05 नवंबर) से यज्ञाचार्यो की मौजूदगी में तीनों पहर आयोजित हो रहे हवन में हजारों महिला पुरुष भाग ले आहुतियां डाल रहे हैं।
पिछले एक सप्ताह से बड़ी संख्या में धर्मावलंबी सुबह और शाम को यज्ञ मंडप की परिक्रमा करते दिखे। लोक कल्याण के लिए आयोजित मृत्युंजय मां पीतांबरा महायज्ञ का आज यानि 12 नवंबर को अंतिम दिन है। जिसमें पूर्ण आहुति के लिए हजारों यजमान यज्ञ स्थल पर मौजूद हैं।
यज्ञाचार्य सभी यजमानों की पूर्ण आहुतियां डलवा रहे हैं। आज शाम 7 बजे कथा पांडाल में भक्तगण चित्रकूट से पधारे कामदगिरि पीठाधीश्वर रामस्वरूपाचार्य के श्री मुख से रामकथा का रसपान कर सकेंगे।
कल यानि बुधवार को यज्ञ स्थल यानि वनखण्डेश्वर महादेव मंदिर परिसर में विशाल भंडारे का आयोजन होगा। मृत्युंजय मां पीतांबरा महायज्ञ का आयोजन लखीमपुर खीरी के संत रामदास महाराज के सानिध्य में हो रहा है। जिसे सफल बनाने में मां राजराजेश्वरी के भक्तों के प्रयास का बड़ा योगदान है।
लोक कल्याण के लिए आयोजित मृत्युंजय मां पीतांबरा महायज्ञ के आयोजक संत रामदास महाराज ने महायज्ञ पर चर्चा करते हुए कहा कि जब कहीं पर यज्ञ होता है तो वहां का वातावरण शुद्ध हो जाता है और जिन आराध्यों का आवाहन किया जाता है वह सुख, शांति और समृद्धि के लिए सभी को आशीर्वाद देते हैं। उन्होंने भक्तों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि मां पीतांबरा की कृपा है जो आपको इतने भव्य आयोजन में सहभागिता करने का अवसर मिला है।
उन्होंने कहा कि किसी भी आयोजन का एक लक्ष्य हुआ करता है और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी की सकारात्मक भूमिका के साथ उनका अपेक्षित सहयोग ही आवश्यक होता है।
कोई भी धार्मिक आयोजन हमेशा सनातन धर्मावलंबियों की आस्था से जुड़ा होना चाहिए और इस आयोजन से समाज में एक संदेश भी जाना चाहिए कि सनातन धर्म के अनुयायियों ने इस तरह का आयोजन किया है जो लंबे समय तक मिसाल बनकर रहेगा।
रिपोर्ट – संदीप राठौर चुनमुन