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बाहुबली मुख्तार के चलते दो राज्य सरकार आमने-सामने

   अजय कुमार

बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी के चलते उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के लिए पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार मुसीबत का सबब बन गई है। मुसीबत की वजह है पूर्वांचल का कुख्यात बाहुबली मुख्तार अंसारी, जिस पर प्रदेश में कई जघन्य अपराधों, हत्याओं की घटनाओं को अंजाम देने के लिए मुकदमा चल रहा है। मुख्तार इस समय पंजाब की जेल में बंद है। मुख्तार को यूपी से पंजाब की जेल में इस भेजा गया था क्योंकि उसकी दहशत के चलते उसके खिलाफ कायदे से पैरवी नहीं हो पा रही थी। कोई उसके डर के कारण गवाही देने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था, लेकिन जब कोर्ट ने सुनवाई के लिए मुख्तार को बुलाया तो पंजाब सरकार टाल-मटोल करने लगी।

करीब 32 बार सम्मन भेजा गया, लेकिन हर बार यूपी पुलिस खाली हाथ लौट आई। इसकी वजह है पंजाब की जेल में बंद मुख्तार अंसारी चंद महीनों में ही पंजाब की कैप्टन सरकार का ‘चहेता’ बन गया है। कैप्टन सरकार से मिल रहे समर्थन के कारण बाहुबली मुख्तार पंजाब में अपना ‘व्यवसाय’ भी जमाने में लगा है। पंजाब में कथित रूप से अपने ऊपर एक मामूली सा केस लदवा कर मुख्तार उक्त केस में जमानत के लिए आवेदन करने की बजाए इसकी आड़ में यूपी जाने से बच रहा है। हालात यहां तक पहुंच गई कि यूपी की योगी सरकार की शिकायत पर पंजाब की कैप्टन सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट को दखल देते हुए सख्त टिप्पणी करना पड़ गया। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब की कैप्टन सरकार को उसके कृत्य के लिए कड़ी फटकार लगाई है।

बाहुबली मुख्तार अंसारी की कस्टड़ी को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की कस्टड़ी को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को जमकर लताड़ लगाई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कैप्टन सरकार का विरोध करते हुूए बताया कि पंजाब सरकार मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश भेजने का विरोध कर रही है। पंजाब सरकार का कहना है कि मुख्तार अंसारी डिप्रेशन का शिकार है और वो कहता है कि वो स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से है,जबकि हकीकत में वो गैंगस्टर है और उसने पंजाब में केस के लिए जमानत इसलिए नहीं लगाई क्योंकि वो वहां की जेल में खुश है। उधर, पंजाब सरकार के वकील मुकुल रोहतगी का कहना था कि हमने उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी मामलों को पंजाब ट्रांसफर करने की मांग की है।

आपको बता दें कि पंजाब सरकार ने राज्य की रूपनगर जेल में बंद माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपने से इनकार कर दिया है। पंजाब सरकार ने मुख्तार अंसारी की खराब सेहत का हवाला देकर उसे उत्तर प्रदेश में शिफ्ट करने की अनुमति नहीं दी है। इसको लेकर पंजाब सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी हलफनामा दाखिल किया गया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट का नोटिस लेकर बीएसपी विधायक मुख्तार अंसारी को यूपी लाने पहुंची गाजीपुर पुलिस को पंजाब की रोपड़ पुलिस ने खाली हाथ वापस भेज दिया था। अंसारी की मेडिकल रिपोर्ट को आधार बनाकर रोपड़ जेल के अधीक्षक ने उसे गाजीपुर पुलिस को सौंपने से इनकार कर दिया था। यूपी पुलिस द्वारा लाए गए सुप्रीम कोर्ट का नोटिस लेने के बाद रोपड़ जेल अधीक्षक ने इसका जवाब सर्वोच्च अदालत में दाखिल करने की बात कही थी और गाजीपुर पुलिस को वापस भेज दिया था।

बहरहाल, मामला यहीं तक सीमित नहीं है। पंजाब की कांग्रेस सरकार का आचरण काफी चैंकाने वाला हो होता जा रहा है। केन्द्र की मोदी सरकार का विरोध करते-करते कैप्टन खालिस्तानियों और पाकिस्तानियों की ‘गोद’ में बैठने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। इसी लिए तो मोदी सरकार ने जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाई तो अमरिंदर ने देश के साथ खड़ा होने की बजाए यह कहने में जरा भी गुरेज नहीं किया कि पाकिस्तान इसको हलके में नहीं लेगा।

ऐसा लगता है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को सही-गलत का अहसास नहीं रह गया है या फिर वह चुनावी साल की सियासत में उलझ कर रह गए हैं। पंजाब में इस वर्ष के अंत तक चुनाव की घोषणा हो जाएगी और 04 फरवरी 2022 से पूर्व विधान सभा चुनाव के नतीजे भी आ जाएंगे। 2022 के विधान सभा चुनाव में अमरिंदर सिंह की क्या भूमिका रहेगी, इसको लेकर भले ही तस्वीर ज्यादा साफ नहीं हो,लेकिन जिस तरह से कैप्टन सियासी रंग बदल रहे हैं उससे तो यही लगता है कि यह(कैप्टन) बुजुर्ग नेता 2017 के विधान सभा चुनाव प्रचार के समय जनता से किए उस वायदे को भूल चुका है जिसमें उसने चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार कहा था कि यह (2017 का विधान सभा चुनाव) उनका आखिरी चुनाव है।

पिछले करीब छह-सात महीने से कैप्टन जिस तरह से नये कृषि कानून की आड़ में किसानों को भड़का रहे हैं, वह कैप्टन को शोभा नहीं देता है। कैप्टन किसानों को भड़का रहे हैं। 26 जनवरी को लाल किला परिसर और दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में हिंसा करने वालों के पैरोकार बनकर उन्हें सरकारी खजाने से वकील उपलब्ध करा रहे हैं। लाल किले की प्राचीर पर धर्म विशेष का झंडा फहराने के आरोपी पंजाबी फिल्मों के कलाकार को राजनैतिक संरक्षण भी दे रहे हैं, जिसके चलते दिल्ली पुलिस आरोपी तक पहुंच नहीं पा रही है। कृषि कानूनी के नाम पर पंजाब में जियो के मोबादल टाॅवर तोड़ने वाले उपद्रवियों को कैप्टन से खुले साड़ की तरह छोड़ रखा है।

कैप्टन न तो नये कृषि कानून की आड़ में माहौल खराब करने वाले कथित किसानों पर लगाम लगा रहे हैं, न खालिस्तान की मांग करने वालों के पेंच कस रहे हैं।इसी के चलते कैप्टन जाने-अनजाने विदेश में बैठे खालिस्तानी आतंकियों की पंसद बनते जा रहे हैं। कैप्टन विधान सभा चुनाव के समय जनता से किए उस वायदे को भी भूल गए हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि उनकी सरकार बनी तो पंजाब के युवाओं को नशाखोरी से बचाने के लिए ड्रग्स माफियाओं पर शिकंजा कसेंगे।

कैप्टन मनमाने फैसले ले रहे हैं और कांग्रेस आलाकमान को उन्होंने ठेंगा दिखा रखा है। यहां तक की वह सोनिया से लेकर राहुल-प्रियंका किसी की भी नहीं सुनते हैं। इसकी वजह भी है। कैप्टन ने 2017 का पंजाब विधान सभा चुनाव अपने बल पर जीता था और यहां तक कि राहुल की पंजाब में सभाएं तक ना के बराबर ही हुई थीं। मुख्तार अंसारी को लेकर जिस तरह कैप्टन जिदद पर अड़े हैं, उसके कारण गांधी परिवार की काफी फजीहत हो रही है, मगर इसकी समझ न तो गांधी परिवार में है,न उनके रणनीतिकार गांधी परिवार को सही रास्ता दिखाते हैं। बल्कि माहौल ऐसा बनाया जा रहा है कि मुख्तार के सहारे कांग्रेस यूपी में बड़ा ‘परिवर्तन’ कर सकती है।

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