कोरोना महामारी की देश में सबसे ज्यादा मार महाराष्ट्र पर पड़ी है। देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई सहित महाराष्ट्र के तमाम बड़े शहरों बड़ी संख्या कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी गहरा झटका लगा है। अब इससे संकट से निपटने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने नई विकास परियोजनाओं और नई भर्तियों पर फिलहाल रोक लगा दी है। इसके अलावा, अपने बड़े खर्चों में कटौती की भी घोषणा की है।
दरअसल, उद्धव सरकार ने कोविड-19 संकट के चलते बने आर्थिक हालात से निपटने को लेकर महाराष्ट्र के लिए कुछ योजनाएं तैयार की हैं। राज्य सरकार ने खर्चों में कटौती के लिए कई प्रस्ताव दिए हैं। कोरोना संकट से निपटने के लिए महाराष्ट्र सरकार जारी योजनाओं की समीक्षा कर रही है और प्राथमिकता के आधार यह तय कर रही है कि अमुक योजना चलेगी या अभी उसे स्थगित या रद्द किया जाएगा। जिन योजनाओं को कैंसिल करना होगा वो तमाम विभाग इसके बारे में राज्य सरकार को 31 मई तक जानकारी देंगे।
प्रस्ताव के मुताबिक प्रत्येक विभाग को कुल बजटीय भत्ते का केवल 33% धन मिलेगा. प्रस्ताव में कहा गया है कि हरेक कार्यक्रम की समीक्षा की जानी चाहिए और केवल आवश्यक योजनाओं को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। प्रस्ताव के मुताबिक नई योजनाओं पर कोई खर्च नहीं होगा। किन्हीं नई योजनाओं को भी प्रस्तावित नहीं किया जाएगा। यह उन योजनाओं पर भी लागू होगा जिन्हें मार्च 2020 तक कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था।
विभागों के व्यय की प्राथमिकता तय की गई है। इसके मुताबिक सार्वजनिक स्वास्थ्य, औषधि प्रशासन, राहत और पुनर्वास, खाद्य और नागरिक आपूर्ति सरकार की प्राथमिकता में रहेगी। हालांकि व्यय को केवल कोरोना एहतियाती और उपचार संबंधी परिचालन खर्चों पर ही सीमित रखा जाएगा।
आपातकालीन चिकित्सा उपकरणों से संबंधित खरीद की अनुमति है। इसके अलावा कोई नया निर्माण, विकास कार्य नहीं किया जाएगा. चालू और स्वीकृत कार्य जारी रहेंगे। जन स्वास्थ्य और औषधि प्रशासन विभाग को छोड़कर किसी अन्य विभाग में कोई नई भर्ती नहीं की जाएगी।
वित्तीय वर्ष के दौरान किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को स्थानांतरित नहीं किया जाएगा। बता दें कि फरवरी 2020 में वित्त मंत्री अजीत पवार ने 2020-21 के लिए 4.34 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था। इसे महाराष्ट्र के इतिहास में अब तक के सबसे अधिक कटौती के रूप में देखा जा रहा है।