लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रोज़ घोषणाएं की जा रही है, परंतु धरातल पर लोगो को कुछ नही मिल रहा है। श्री दुबे ने आज जारी बयान में बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार अन्य प्रदेश से अपने प्रदेश के सभी श्रमिकों को लाने में नाकामयाब रही है और जिन लोगो को ला पाई है, उन लोगो के टेस्टिंग कोई व्यवस्था नही की गयी है। दूसरे सरकार द्वारा कहा गया था कि गांव में श्रमिको को मनरेगा के तहत रोज़गार दिया जायेगा, जिनमे अभी तक कोई कार्य नही किया गया।
किसान का आधे से ज्यादा गन्ना खेत में
उत्तर प्रदेश में 66 प्रतिशत लोग किसान है, किसान का जमकर शोषण वर्तमान सरकार कर रही है सरकार किसानों को जुमलेबाजी करने में व्यस्त है। सरकार पर गन्ना किसानों का 15000 करोड़ से ऊपर बकाया है, जिसकी कोई चिंता सरकार को नही है। किसान का आधे से ज्यादा गन्ना खेत में खड़ा है, गन्ना अधिकारी रिसर्वे के नाम पर गन्ना पर्ची किसान को नही दे रहे है। किसान लॉक डाउन में बुरी तरह आहत है।
दूसरी ओर प्रदेश सरकार द्वारा गेंहू किसानों का जमकर शोषण किया जा रहा है। सरकार द्वारा 1925 रुपए प्रति क्विंटल गेंहू का मूल्य निर्धारित किया गया है, जिसमे 20 रुपए प्रति क्विंटल मजदूरी का सरकार मंडी परिषद के माध्यम अपने आप देती थी, परंतु इस बार सरकार ने वो 20 रुपए किसान से काटना शुरू कर दिया जो सरासर गलत है।
क्रय केंद्र गांव स्तर पर बने
इस बार किसान का गेंहू क्रय केंद्र पर रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है। किसान से गेंहू लेकर उसे भुगतान के बारे में नही बताया जा रहा है कि भुगतान कब होगा। क्रय केंद्र गांव स्तर पर नही बनाये गए है। जो बनाये गए है उनमें गेंहू लेने के लिए पर्याप्त बारदाना नही है, जिससे किसान बिचौलियों को गेंहू बेचने को मजबूर है। किसान को फसल का दुगना दाम देने का सपना दिखाने वाली सरकार किसान को लागत के आधे दाम में फसल को बेचने को मजबूर कर रही है।
20 रुपये प्रति वर्ष की भांति सफाई ढुलाई दे सरकार
रालोद प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल मांग करता है कि प्रदेश के किसानो का अविलंब गन्ना भुगतान कराया जाए और प्रदेश के गेंहू क्रय केंद्रों का निरीक्षण कराया जाए, साथ ही उनकी संख्या बढ़ाई जाए। सरकार द्वारा घोषित 1925 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान किसान का हो और 20 रुपये प्रति वर्ष की भांति सरकार अपनी ओर से सफाई ढुलाई का दे।