उत्तराखंड में सावन माह शुरू होते ही कांवड़ियों का आगमन भी शुरू हो जाता है. सावन माह के दौरान शिव भक्त कांवड़िये लाखों की संख्या में पैदल हरिद्वार गंगा जल लेने पहुचंते हैं और कंधो पर गंगा जल उठाये अपने गंतव्यों को रवाना होते हैं.
हरिद्वार प्रशासन टैंकरों के माध्यम से जिले की सीमाओं पर गंगा जल भेजेगा, ताकि कांवड़िए सीमा से ही जल लेकर लौट सकें। हरिद्वार की नासरन, श्यामपुर और अन्य सीमाओं पर टैंकर रखने की तैयारी प्रशासन ने शुरू कर दी है।
मांग के अनुसार हरियाणा, यूपी, पंजाब, दिल्ली समेत अन्य जगहों पर पहले ही टैंकर से गंगा जल भेजने पर सहमति बन गई है। कांवड़ यात्रा रद्द होने के बाद हरिद्वार के सीसीआर टावर सभागार में कई राज्यों के पुलिस अधिकारियों के साथ उत्तराखंड के आईजी ला एंड आर्डर ने एक समन्वय बैठक भी की थी.
प्रतिबंधों की घोषणा के साथ ही शिवभक्तों से अपील की है कि वह आसपास के शिव मंदिरों में जल चढ़ाएं. उन्होंने कहा संक्रमण के इस दौर में अपना और अपनों की सुरक्षा पर ध्यान दें.
हर साल सावन के महीने में शिवभक्त बड़ी तादाद में देश के कोने-कोने से उत्तराखंड पहुंचते हैं. यहां वह गोमुख, देवप्रयाग, ऋषिकेश और हरिद्वार से गंगा जल भरते हैं और शिवरात्रि के दिन इस गंगाजल को भगवान शंकर पर चढ़ाते हैं.
मगर वर्तमान में जिस तरीके से कोरोना काल चल रहा है और तीसरी लहर के प्रकोप का अनुमान लगाया जा रहा है उसके दृष्टिगत उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार में आयोजित होने वाली विश्व की सबसे बड़ी कांवड़ यात्रा को रद्द कर दिया है.