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पाश्चात्य इतिहास विभाग में कुलपति प्रो. राय ने दक्षिण एशिया के वॉल मैप का किया उद्घाटन

भारत का इतिहास पूरे दक्षिण एशिया के इतिहास के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है और भविष्य भी एकजुटता में मौजूद है। इस प्रकार यह दीवार मानचित्र (वॉल मैप) अत्यंत प्रासंगिक है।”- प्रो. मधु राजपूत

लखनऊ। पाश्चात्य इतिहास विभाग में कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने, मंगलवार को, दक्षिण एशिया के वॉल मैप का उद्घाटन किया। वॉल मैप के विचार की परिकल्पना स्वयं कुलपति ने की थी। उनके मार्गदर्शन से पाश्चात्य इतिहास विभाग ने विभागाध्यक्ष की देखरेख में इसका विधिवत निर्माण किया।

कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने दक्षिण एशिया के वॉल मैप का किया उद्घाटन

प्रो, मधु राजपूत ने संकाय सदस्यों और छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि “इतिहास आंतरिक रूप से भूगोल से जुड़ा हुआ है। भारत दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा देश है, छात्रों को इस क्षेत्र के भूगोल से अवगत होने और पूरे क्षेत्र की व्यापक समझ के साथ इसके इतिहास का अध्ययन करने की आवश्यकता है।”

उन्होंने मानचित्र के निर्माण और उसमें विभाग की ओर से किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि “छात्रों को इस वॉल मैप से अत्यधिक लाभ होगा। इसके माध्यम से, इस क्षेत्र में उनकी दीक्षा कक्षा में प्रवेश करने से पहले ही इसके बारे में पढ़ने के लिए शुरू हो जाएगी।”

“भारत का इतिहास पूरे दक्षिण एशिया के इतिहास के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है”

विभागाध्यक्ष प्रो. मधु राजपूत ने उद्घाटन समारोह में उपस्थित माननीय कुलपति एवं अन्य सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि “दक्षिण एशिया के लोगों के बीच एक निरंतर सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक आदान प्रदान रहा है। अपनी रणनीतिक स्थिति और आकार के आधार पर, भारत इस क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह कई संयुक्त कार्य करता है।”

उन्होंने कहा वॉल मैप के बारे में कहा कि भारत का इतिहास पूरे दक्षिण एशिया के इतिहास के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है और भविष्य भी एकजुटता में मौजूद है। इस प्रकार यह दीवार मानचित्र (वॉल मैप) अत्यंत प्रासंगिक है।” उन्होंने आशा व्यक्त की कि छात्र दक्षिण एशिया के अछूते विषयों पर अधिक शोध कार्य करेंगे।

प्रो. राय के मार्गदर्शन से पाश्चात्य इतिहास विभाग ने इसका विधिवत निर्माण किया।

इस अवसर पर डीन, कला संकाय, प्रो. प्रेम सुमन शर्मा, डीन छात्र कल्याण, प्रो. पूनम टंडन, प्रो. रश्मि रेखा, डॉ. रिज़वी, डॉ शमा महमूद, (मध्यकालीन भारतीय इतिहास विभाग), एसोसिएटेड कॉलेजों के शिक्षक, डॉ मोनिका श्रीवास्तव, डॉ उषा देवी, डॉ सौरभ मिश्रा और पाश्चात्य इतिहास विभाग के डॉ अर्चना तिवारी, डॉ अमिता सोनकर, डॉ शालिनी पाठक, और छात्र उपस्थित थे।

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