बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अपनी राह अलग करने के बाद लगातार 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं।
इसके लिए वह दूसरी बार दिल्ली में मजमा लगाने के लिए पहुंचे हैं। हालांकि, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मुखिया शरद पवार ने अडानी मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के गठन की कांग्रेस की मांग को सिरे से खारिज कर दिया था। साथ ही उन्होंने राहुल गांधी द्वारा सावकर को लेकर दिए गए बयान से भी खुद को अलग कर लिया था। इस सबके बीच नीतीश कुमार दूसरी बार विपक्षी दलों को मंच पर लाने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं।
देश में एकबार फिर ईवीएम के खिलाफ हल्ला बोल और जातीय जनगणना के मुद्दे पर एकजुटता की कोशिशों के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन की कोशिश तेज हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के विपक्षी दलों के नेताओं से फोन पर बात करने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सक्रिय हो गए हैं। नीतीश कुमार मंगलवार शाम दिल्ली पहुंच गए हैं। चार दिन के दिल्ली प्रवास के दौरान नीतीश खड़गे और सोनिया गांधी सहित विपक्षी दलों के कई नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं। इन दिनों उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी दिल्ली आए हुए हैं। ऐसे में वह भी मिल सकते हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात कर सकते हैं। इससे पहले तेजस्वी यादव ने केजरीवाल से मुलाकात की थी। ऐसे में माना जा रहा है कि इन मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ तेजस्वी यादव भी मौजूद रह सकते हैं। हालांकि नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़ी चुनौती शरद पवार को मनाने की हो सकती है, जिन्होंने हाल ही में कांग्रेस के खिलाफ अपने तेवर स्पष्ट कर दिए थे। उन्होंने अडानी और सावरकर के प्रकरण पर कांग्रेस को झटका दिया था।
दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने पिछले सप्ताह नीतीश कुमार सहित विपक्षी दलों के नेताओं को फोन कर वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एकजुटता पर चर्चा की थी। नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे को खड़गे की इस पहल से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि, नीतीश कुमार काफी दिनों से लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता की वकालत करते रहे हैं।