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तो क्या सच में उत्तर प्रदेश की जनता को थी जनसंख्या नियंत्रण जैसे सख्त काननू की आवश्यकता ? जानिए यहाँ

यूपी के लिए नई जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बिल ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है और वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया गया है। इस ड्राफ्ट पर 19 जुलाई तक जनता द्वारा राय मांगी गयी है।

इस नए जनसंख्या नियंत्रण कानून के अंतर्गत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दो बच्चों से अधिक होने पर सरकार नौकरी से लेकर स्थानीय चुनाव लड़ने तक पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया गया है। ‘हम दो, हमारे दो’ की राह पर चलने वालों को अच्छी खबर मिल सकती है। देश की सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य में 2 से अधिक बच्चों वाले अभिभावकों को सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है।

भले ही ये आम धारणा है कि बढ़ती हुई आबादी और घटते हुए संसाधनों की समस्या के बीच यूपी सरकार की इस पहल पर विपक्ष के सवाल अपनी जगह हैं, लेकिन बीजेपी संगठन और राज्य सरकार में इस कानून को लेकर असहजता है.

राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने का मसौदा तैयार करना शुरू कर दिया है। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एएन मित्तल के मुताबित, राजस्थान व मध्य प्रदेश में लागू कुछ कानूनों का इसके लिए अध्ययन किया जा रहा है।

इस कानून को लागू करने में विपक्ष नहीं बल्कि अपनों की वजह से दुश्वारियां आना तय हैं. कानून को लेकर मुद्दों की और सवालों की कमी भी नहीं है. जितने लोग इस जनसंख्या नीति के समर्थन में हैं उससे कहीं ज्यादा विरोध में हैं और विरोध भी खांटी राजनीतिक वर्चस्व या भागीदार को लेकर.

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