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भारतीय चिंतन के अनुरूप जल प्रबंधन

भारतीय चिंतन में जल संरक्षण को बहुत महत्व दिया गया। नदियों व जल स्रोतों को दिव्य भाव में प्रतिष्ठा दी गई। प्राचीन भारत के ऋषि युग द्रष्टा थे। इसलिए उन्होंने जल की प्रत्येक बून्द को उपयोगी माना। यह उस समय का चिंतन था जब भारत की नदियों में अविरल निर्मल प्रवाह रहता था। जल की कहीं कमी नहीं थी। लेकिन तब भी भारत में उपभोगितावाद नहीं थी। फिर भी भविष्य को ध्यान में रखकर पृथ्वी सूक्त जैसे विचार दिए गए। आधुनिक युग में प्रकृति जल सभी को चुनौती मिली।

ऐसे में भारतीय चिंतन के माध्यम से ही इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। योगी आदित्यनाथ ने भी इसका उल्लेख किया। कहा कि भारतीय मनीषा ने जल को महत्व दिया है। कहा कि हमारे शास्त्र जल संरक्षण की प्रेरणा देते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा भू-जल के संरक्षण एवं नियोजन,सरफेस वाॅटर की स्वच्छता एवं निर्मलता बनाए रखने, शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कार्य किया जा रहा है। इसके लिए ‘अटल भू-जल योजना’,‘नमामि गंगे’ परियोजना, ‘हर घर नल’ आदि योजनाएं लागू की गयी हैं।

नमामि गंगे की सफलता

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अविरलता एवं निर्मलता हेतु ‘नमामि गंगे’ परियोजना प्रारम्भ की गयी। इसकी शुरुआत गंगा एवं इसकी सहायक नदियों की स्वच्छता,अविरलता, निर्मलता के अभियान से हुई, किन्तु यह भारत की नदी संस्कृति के पुनरुद्धार का नया कदम है। गत वर्ष प्रयागराज कुम्भ में संगम में श्रद्धालुओं को गंगा जी का स्वच्छ,निर्मल और अविरल जल प्राप्त हुआ। केन्द्र व राज्य सरकार के प्रयासों से ‘नमामि गंगे’ परियोजना की सफलता की दिशा में बढ़ रही है।

काशी-कानपुर में बदला दृश्य

मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा जी के लिए गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक सबसे क्रिटिकल प्वाइंट कानपुर था। गंगा जी में कानपुर के जाजमऊ में तीन वर्ष पहले कोई जलीय जीव नहीं बचा था। ‘नमामि गंगे’ परियोजना के प्रभावी संचालन से अब गंगा जी में जाजमऊ में जलीय जीव देखे जा सकते हैं। वाराणसी में गंगा जी में डाल्फिन तैर रही हैं। प्रदेश में नदियों के पुनरुद्धार का कार्य संचालित है। कन्वर्जेन्स के माध्यम से गोमती सहित पन्द्रह से अधिक नदियों का पुनरुद्धार कराया गया है। फलस्वरूप तमसा, आमी,मनोरमा,अरिल सहित कई नदियां पुनर्जीवित हुई हैं। नदियों के साथ ही तालाबों, पोखरों के संरक्षण एवं भू-जल के संरक्षण पर भी ध्यान दिया जा रहा है। इससे कुम्हारों को भी लाभान्वित किया जा रहा है।

3 वर्ष में बदला बुंदेलखंड

मुख्यमंत्री ने कह कि जल संकट के कारण बुन्देलखण्ड में टैंकरों से पानी पहुंचाया जाता था। पिछले तीन वर्षाें में बुन्देलखण्ड व विन्ध्य क्षेत्र में जल की समस्या नहीं आने दी गयी। इन क्षेत्रों में जल संकट के स्थाई समाधान के प्रयास के तहत लगभग पन्द्रह हजार करोड़ रुपए की लागत की ‘हर घर नल’ योजना लागू की गयी है। बुन्देलखण्ड में योजना का क्रियान्वयन हो रहा है। विन्ध्य क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री द्वारा योजना का उद्घाटन किया गया है। प्रदेश में ‘अटल भू-जल’ योजना भी संचालित की जा रही है। इसके तहत सरकारी भवनों में रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गयी है।

वृक्षारोपण व जल संरक्षण

योगी आदित्यनाथ सरकार ने वृक्षारोपण के कीर्तिमान बनाये। प्रतिवर्ष वह अपने ही कीर्तिमानों को पीछे छोड़ रही है। योगी ने कहा कि भूजल एवं सरफेस वाॅटर के संरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2017 से लेकर अब तक निरन्तर प्रतिवर्ष वृक्षारोपण का महाअभियान संचालित किया गया। वर्ष 2017 में 05 करोड़, वर्ष 2018 में 11 करोड़, वर्ष 2019 में 22 करोड़, वर्ष 2020 में 25 करोड़ वृक्षारोपण कराया गया। इन वृ़क्षों में अधिकतर पीपल, पाकड़, आम, नीम, बरगद जैसे वृक्ष सम्मिलित हैं।

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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