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अब क्या करेगे आजम खान, ना विधायकी बहाल होगी ना लड़ पाएंगे चुनाव

माजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान को हेट स्पीच मामले में रामपुर की अदालत ने बरी कर दिया पर उनकी मुश्किलें अभी खत्म नहीं होने वाली हैं। बताया जा रहा है उनकी विधायकी बहाल होने में और चुनाव लड़ पाने में संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है।

आजम को छजलैट प्रकरण में भी मुरादाबाद की कोर्ट से दो वर्ष की सजा होने के कारण फिलहाल उनकी सदस्यता बहाल होने पर संदेह है। अधिवक्ता जुबैर का कहना है कि सपा नेता आजम खान के बरी होने के बाद विधायकी बहाल कराने को लेकर कानूनी पक्ष जाना जाएगा। साथ ही हर पहलू पर विचार किया जाएगा। कानूनी पक्ष जानने के बाद ही आगे की कोई कार्रवाई होगी।

भड़काऊ भाषण के मामले में तीन साल की सजा सुनाए जाने के बाद ही सपा के राष्ट्रीय महासचिव आजम खांन की विधानसभा की सदस्यता खत्म कर दी गई थी। विधायकी जाने के फैसले का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। मगर, उनको राहत नहीं मिल सकी थी। लोकसभा चुनाव के दौरान 2019 में भड़काऊ भाषण का यह मामला सामने आया था। इस मामले के सामने आने के बाद इसमें मुकदमा दर्ज हुआ और फिर यह मामला कोर्ट तक पहुंचा।

एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के बाद अक्तूबर 2022 में इस मुकदमे में आजम खान को दोषी मानते हुए तीन साल की कैद और जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई थी। आजम खां को तीन साल की सजा सुनाए जाए के बाद निर्वाचन आयोग ने आजम खां की विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी थी। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने रामपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया।

जिला शासकीय अधिवक्ता राजस्व अजय तिवारी बताते हैं कि आजम के सेशन कोर्ट से बरी होने के बावजूद उन्हें वापस विधानसभा की सदस्यता नहीं मिल सकती। हां, संबंधित सीट पर निर्वाचन प्रक्रिया पूरी नहीं होती तो राहत मिल सकती थी, लेकिन आजम के केस में ऐसा भी नहीं है। यहां निर्वाचन की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है, आकाश सक्सेना शहर विधायक चुने जा चुके हैं।

वहीं, आजम एक अन्य केस में मुरादाबाद से सजायाफ्ता हैं। 15 साल पुराने छजलैट प्रकरण में सपा नेता आजम और बेटे सपा विधायक रहे अब्दुल्ला को मुरादाबाद की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 14 फरवरी को दो-दो साल की सजा सुनाई थी। स्वार विधायक रहे अब्दुल्ला की भी सदस्यता समाप्त हो गई थी।

 

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