उत्तराखंड. मध्यरात्रि के बाद लगने वाले इस साल के अंतिम चंद्रग्रहण से पहले सूतक काल के चलते शनिवार शाम को बदरीनाथ, केदारनाथ सहित उत्तराखंड के मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए.रात को एक बजकर चार मिनट पर शुरू होने वाले चंद्रग्रहण के लिए सूतक काल शनिवार शाम चार बजकर पांच मिनट पर आरंभ हो गया और इसके साथ ही मंदिर बंद कर दिए गए.हरिद्वार में दक्ष मंदिर, मायादेवी मंदिर, मनसा देवी, चंडी देवी सहित सभी मंदिर बंद कर दिए गए. हरकी पौड़ी पर देर शाम होने वाली गंगा आरती भी सूतक शुरू होने से पहले अपराह्न साढ़े तीन बजे ही कर ली गईं. इस बीच, ग्रहण के अवसर पर गंगा स्नान करने के लिए भी श्रद्धालुओं का हरिद्वार पंहुचना शुरू हो गया.
ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि सूतक काल में शुभ कार्यों को वर्जित माना जाता है, इसलिए दो बजकर 24 मिनट पर ग्रहण समाप्त होने के बाद ही मंदिरो के कपाट खोले जायेंगे और उन्हें गंगा जल से शुद्ध करने के बाद पूजा पाठ का कार्य शुरू होगा. ग्रहण के दौरान हरिद्वार में गंगा तटों पर श्रद्धालुओं का पहुंचना आरंभ हो गया है. इस दौरान श्रद्धालु गंगा तट पर जप-तप और भजन कीर्तन करते रहेंगे और ग्रहण संपन्न होने के बाद श्रद्धालु गंगा मे स्नान करेंगे.बदरीनाथ, केदारनाथ सहित बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के तहत आने वाले मंदिर, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिर भी शाम को बंद कर दिए गए. मंदिरों के कपाट अब रविवार को ब्रहममुहूर्त में खुलेंगे.पश्चिम बंगाल के साथ भारत के अन्य हिस्सों, पूरे एशिया, यूरोप, अफ्रीका और रूस में शनिवार रात को आंशिक चंद्रग्रहण देखा जाएगा. तारा-भौतिकविद् देबी प्रसाद दुआरी ने बताया कि यह खगोलीय घटना 29 अक्टूबर तड़के तक जारी रहेगी. पश्चिम बंगाल में लोग शनिवार रात को लक्ष्मी पूजा करेंगे.
दुआरी ने पीटीआई से कहा, “28 अक्टूबर की रात को आंशिक चंद्रग्रहण लगने जा रहा है, जिसे भारत के साथ ही पूरे एशिया, यूरोप, अफ्रीका और रूस के लोग देख सकते हैं. यह चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर की देर रात को लगेगा और 29 अक्टूबर को तड़के तक जारी रहेगा.” उन्होंने बताया कि 28 अक्टूबर को चंद्रमा में कुछ देर के लिए पृथ्वी की छाया से आंशिक रूप से ग्रहण लगेगा और इससे भारत में लोगों को आंशिक रूप से चंद्रग्रहण देखने का मौका मिलेगा.चंद्रग्रहण को पृथ्वी की छाया में आ रहे चंद्रमा की दो अवस्थाओं के रूप में पहचाना जाता है. जब वह पृथ्वी के आंशिक रूप से छाया वाले हिस्से में प्रवेश करता है, तो इसे उपछाया ग्रहण कहा जाता है और उस वक्त चंद्रमा की रोशनी आंशिक रूप से दिखाई देती है.दुआरी ने कहा, “चंद्रमा की रोशनी में बदलाव ज्यादा दिखाई नहीं देता. इस चरण के बाद चंद्रमा पृथ्वी की छाया के अधिक गहरे हिस्से में आंशिक रूप से प्रवेश करता है, जिसे पूर्ण चंद्रग्रहण कहा जाता है और ज्यादातर लोग इसे असली ग्रहण मानते हैं.”
उन्होंने बताया कि 28 अक्टूबर की रात को उपछाया चंद्रग्रहण भारतीय समयानुसार रात करीब 11 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगा, लेकिन आंशिक पूर्ण चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर को देर रात करीब एक बजकर पांच मिनट पर शुरू होगा. तारा-भौतिकविद् ने कहा, “यह देर रात करीब 1 बजकर 44 मिनट पर सबसे ज्यादा दिखेगा और दो बजकर 23 मिनट पर खत्म हो जाएगा.”इससे पहले, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में 14 अक्टूबर को दुर्लभ सूर्यग्रहण ‘रिंग ऑफ फायर’ देखा गया था. दुआरी ने कहा, “यह उस वक्त हुआ था, जब भारत और एशिया में रात थी और इस क्षेत्र के लोग इसे नहीं देख पाए थे. वह अमावस्या का दिन था और नवरात्रि की शुरुआत हुई थी. पश्चिम बंगाल और उसके आसपास के इलाकों में यह महालया का दिन था, जब लोग दुर्गा पूजा उत्सव में अपने पूर्वजों की पूजा करते हैं.”