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अब ग्रामीण स्वास्थ केंद्रों पर ह्रदय और मधुमेह की जटिलताओं की होगी जांच

जयपुर। राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य एवं सब सेंटर केंद्रों पर भी अब ह्रदय, श्वांस एवं मधुमेह रोग की जटिलताओं की स्क्रीनिंग होगी। इसके लिए विश फाउंडेशन ने राजस्थान के 14 जिलों के 21 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व उप केंद्रों पर डॉजी व न्यूरो टच डिवाइस के जरिए इस प्रणाली का उपयोग शुरू कर दिया है। इंटरनेट से संचालित इन दोनों डिवाइस की खासियत ये है कि इन्हें जीएनएम भी ऑपरेट कर सकेंगे।

डॉजी और न्यूरो टच जैसे उपकरणों का प्रशिक्षण देने के लिए जयपुर के एक होटल में एकदिवसीय प्रशिक्षण कैंप आयोजित किया गया। लॉर्ड्स एजुकेशन एंड हेल्थ सोसाइटी (एलईएचएस-विश)/ वाधवानी इनिशिएटिव फॉर सस्टेनेबल हेल्थकेयर (डब्ल्यूआईएसएच) के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में प्राथमिक सेवा केन्द्रों के 19 चिकित्सा अधिकारी शामिल हुए। इन्हें न्यूरो टच (परिधीय न्यूरोपैथी के लिए स्क्रीनिंग) और डॉजी (कार्डियक एंड रेस्पिरेटरी हेल्थ मॉनीटर) पाइंट ऑफ केयर डिवाइस (पीओसीडीएस) के क्रियान्वयन को प्रशिक्षित किया गया।

विश देगी 14 जिलों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सुविधा

विश के स्टेट डायरेक्टर बिस्वा रंजन पटनायक ने कहा कि मुझे गर्व कि राजस्थान के ग्रामीण लोगों की जांच अत्याधुनिक उपकरणों से की जा रही है। डायबिटीक पेरीफेरल न्यूरोपेथी की जांच अब अत्धाधुनिक न्यूरो टच उपकरण से संभंव होगी। इससे इस बीमारी से प्राथमिक स्तर पर ही पता लगाकर उसका समुचित इलाज संभंव है। इसी तरह डॉजी प्लस उपकरण के जरिए ह्रदय एवं श्वांस संबंधी रोगों का प्राथमिक स्तर पर पता लगाकर बेहतरीन समयबद्ध उपचार किया जा सकता है।

विश के एसोसिएट डायरेक्टर दिनेश सोनगरा ने बताया कि राजस्थान के 14 जिलों में पीपीपी मॉडल पर आधारित 21 उप केंद्रों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इन अत्याधुनिक उपकरणों के जरिए स्क्रीनिंग प्रारंभ कर दी गई है। उन्होंने बताया कि ये जांच फिलहाल केंद्र सरकार के बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च अस्टिटेंस काउंसिल (बिरक) के दिशा-निर्देश में की जा रही है। इसके बाद विश इसकी रिपोर्ट केंद्र व राज्य सरकार को साझा करेगी, जिसके बाद देश व प्रदेश के समस्त सरकारी चिकित्सालयों में इन डिवाइज के माध्यम से जांचे संभंव हो पायेंगी। बीआईआरएसी के अनुसार देशभर में 30 प्रतिशत लोग मधुमेह से पीड़ित पेरिफेरल न्यूरोपैथी से प्रभावित है। इसके साथ ही 40 प्रतिशत लोग मधुमेह से पीड़ित पेरिफेरल धमनी रोग व पेरिफेरल संवहनी रोग से प्रभावित हैं। इसीलिए हर 30 सेकंड में दुनियाभर में मधुमेह के कारण एक व्यक्ति अपना पैर गवां देता है।

उन्होंने बताया कि डॉजी (कार्डियक एंड रेस्पिरेटरी हेल्थ मॉनीटर) एक तरह का संपर्क रहित स्वास्थ्य मॉनिटर है जिसका उपयेाग स्वास्थ्य संबधी समस्याओं की स्क्रीनिंग के लिए किया जाता है, इसके द्वारा ब्लड आक्सीजन सेचुरेशन को मापा जा सकेगा। इसमें सांस लेने की गति, हृद्वय की गति, हृद्वय गति परिवर्तनशीलता, मायोकार्डियल परफार्मेंस मेट्रिक्स को भी इससे मानिटर किया जा सकेगा।

न्यूरो टच (परिधीय न्यूरोपैथी के लिए स्क्रीनिंग) मधुमेह रोगियों में पेरिफेरल यूरोपैथी के लक्षणों की जांच करने में यह उपकरण रामबाण सिद्ध होगा। पेरिफेरल न्यूरोपैथी की जांच के लिए इसमें मोनोफिलामेंट, कोल्ड सैनसेशन, वाईब्रेशन परसेप्शन, हॉट सैनसेशन और आईआर थर्मामीटर इत्यादि का परीक्षण किया जा सकेगा। ये सभी उपकरण हल्के, बैटरी से चलने वाले, प्रयोग करने में आसान और कंही पर भी ले जाए जा सकते है। इस कार्यशाला के तकनीकी सत्रों में स्वास्थ्य विभाग के प्रोजेक्ट डायरेक्टर (मातृत्व स्वास्थ्य) डॉ. तरूण चौधरी सहित प्रदेश के विशेषज्ञ चिकित्सक सहित कार्डियोलॉजिस्ट और श्वसन चिकित्सकों ने भाग लिया।

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