समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि आज संविधान की उद्देशिका में उल्लिखित समाजवाद, पंथनिरपेक्षता और लोकतंत्र के लिए खतरा बढ़ा हुआ है। लोकतंत्र की बहाली की बड़ी लड़ाई है। भाजपा अपने राजनीतिक स्वार्थ साधन के लिए संवैधानिक संस्थाओं और सामाजिक मर्यादाओं को भी कमजोर कर रही है। देश को बचाना है तो भाजपा को सत्ता से बेदखल करना होगा। चुनावों की निष्पक्षता बनाए रखने में जनता की भूमिका भी महत्वपूर्ण होनी है।
अखिलेश यादव आज पार्टी मुख्यालय में बुद्धिजीवियों की एक संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। सर्वप्रथम उन्होंने बौद्धिक समाज का आभार व्यक्त किया और आशा जताई कि उनसे सार्थक विचार विमर्श बहुत उपयोगी साबित होगा। उन्होंने कहा कि भाजपा और उनके द्वारा प्रायोजित छोटे-छोटे संगठनों का उपयोग समाजवादी पार्टी को रोकने की रणनीति के तहत किया जा रहा है। यह साजिश किसानों, गरीबों, नौजवानों के खिलाफ है। समाज में तनाव है, परिस्थितियां बदली हुई है। हमें पूरी ताकत से चुनौती स्वीकार है।
श्री यादव ने कहा कि भाजपा राज में अन्याय, अनीति में बढ़ोत्तरी हुई है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचला जा रहा है। सामाजिक गैरबराबरी बढ़ी है। बेरोजगारी और मंहगाई बेलगाम है। किसान दुःखी है। नौजवान का भविष्य अंधेरे में है। भाजपा से सावधान रहना है, क्योंकि वह समाज में नफरत और परस्पर दूरी पैदा करती हैं। झूठे प्रचार के जरिए लोगों को गुमराह करती है। उन्होंने कहा समाज किसी का बंधुआ नहीं रह सकता है। सामाजिक न्याय की शक्तियों के रास्ते में रोड़ा अटकाने वालों को मुंह की खानी पड़ेगी।
अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी के साथ किसान, गरीब, श्रमिक, वकील, शिक्षक, डाक्टर और प्रबुद्ध समाज के अन्य वर्ग प्रारम्भ से ही रहे हैं, समाजवादी पार्टी इनके हितों और सम्मान के लिए प्रतिबद्ध रही है। आज देश में जो स्थिति है उसमें परिवर्तन की पहल बुद्धिजीवियों के सहयोग समर्थन के बिना नहीं हो सकती है। बुद्धिजीवी ही देश की दिशा निर्धारण करते हैं।