समाजवादी पार्टी (SP) के संस्थापक पूर्व मुख्यमंत्री एवं रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव ने मेदांता अस्पताल में दुनिया को अलविदा कह दिया था. उनका 11 अक्टूबर को अंतिम संस्कार हो गया.पिता की छत्रछाया के बिना ही अखिलेश यादव को आगे की सियासी राह तय करना है
मुलायम की मैनपुरी सीट पर नेताजी के सियासी वारिस को भी तलाशना होगा.यह सीट मुलायम खानदान के पास लंबे समय से है. मैनपुरी लोकसभा सीट पर गुजरात, हिमाचल आदि राज्य में विधानसभा चुनाव के साथ उपचुनाव होने की उम्मीद है. मुलायम की सीट को बचाने की बड़ी जिम्मेदारी है. पहले सपा उपचुनाव में रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीट पर मात खा चुकी है.
अखिलेश यादव के सामने पार्टी के साथ ही परिवार को साधना बड़ी चुनौती है. उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव काफी समय से खफा चल रहे हैं. मगर, बीच-बीच में मुलायम सिंह यादव शांत कर दिया करते थे.समाजवादी पार्टी और यादव कुनबे दोनों को मुलायम सिंह यादव ने एक साथ जोड़कर रखा था.
मुलायम के बाद पूरे यादव परिवार को एक साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी अखिलेश यादव के कंधों पर है, लेकिन चाचा शिवपाल सिंह यादव से लेकर अपर्णा यादव तक की सियासी राह अलग हो चुकी है.मुलायम सिंह यादव के साथ यादव और मुस्लिम वोट शुरू से था.इस वोट के साथ ही अन्य वोट जोड़ लेते थे.इसी कारण तीन बार सीएम रहे थे.