महाशिवरात्रि हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। दक्षिण भारत के पंचांग (अमावसंत पंचांग) के अनुसार, महा शिवरात्रि माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है।
वहीं उत्तर भारत के पंचांग (पूर्णिमंत पंचांग) के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। उत्तर और दक्षिण दोनों के पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि एक ही दिन होती है। ग्रेगोरियन कलैण्डर के अनुसार पूरे भारत में तिथि एक ही रहती है। इस दिन, शिव के भक्त शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाकर, उपवास रखकर और पूरी रात जागकर उनकी पूजा करते हैं। इस साल महाशिवरात्रि का पावन पर्व 18 फरवरी 2023, शनिवार को मनाया जाएगा।
महाशिवरात्रि पूजा विधि-
1. मिट्टी के बर्तन में पानी या दूध भरकर रखें। इसमें कुछ बेलपत्र, धतूरा-आक के फूल, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। अगर आसपास शिव मंदिर नहीं है तो घर में मिट्टी से शिवलिंग बनाकर पूजा करनी चाहिए।
2. इस दिन शिव पुराण का पाठ करना चाहिए और महामृत्युंजय या शिव के 5 अक्षर वाले मंत्र ओम नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। साथ ही महाशिवरात्रि की पूरी रात जागरण करना चाहिए।
महाशिवरात्रि 2023 शुभ मुहूर्त व व्रत पारण का समय-
निशिता काल पूजा का समय : 24:09:26 से 25:00:20
अवधि :0 घंटे 50 मिनट।
महा शिवरात्रि पारण का समय :06:57:28 से 15:25:28 19 फरवरी को
महाशिवरात्रि 2023 व्रत के नियम शास्त्रों के अनुसार-
1. चतुर्दशी तिथि (हिंदू पंचांग के अनुसार चौदहवां दिन) के अंतर्गत यदि पूरा निशिथकाल पहले दिन आ रहा हो तो उसी दिन महाशिवरात्रि मनाई जाती है। रात्रि के आठवें मुहूर्त को निशीथ काल कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, यदि रात्रि का आठवां मुहूर्त पहले दिन चतुर्दशी तिथि के अंतर्गत आता है, तो उसी दिन महाशिवरात्रि मनाई जाती है।
2. यदि अगले दिन चतुर्दशी तिथि निशीथकाल के प्रथम भाग को स्पर्श कर ले और पहले दिन निशीथ काल पूर्ण रूप से चतुर्दशी तिथि के अंतर्गत आ रहा हो तो पहले दिन महाशिवरात्रि मनाई जाती है।
3. ऊपर बताई गई 2 स्थितियों के अलावा व्रत हमेशा अगले दिन ही रखा जाएगा।