- Published by- Anshul Gaurav, Tuesday, 22 Febraury, 2022
लखनऊ। गोमती तट के देवरहा बाबा घाट के रमणीक स्थल पर सूर्यास्त के निश्चित समय सामूहिक अग्निहोत्र यज्ञ संपन्न हुआ। अग्निहोत्री जयंती के इस अवसर पर, अग्निहोत्र-कर्ताओं ने यज्ञ के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प किया। आपको बताते चल रहे हैं कि 1963 में पहली बार सूक्ष्म अग्निहोत्र यज्ञ की इस विधि की शुरुआत, माधव प्रसाद पोद्दार (साहिब जी) ने खैरागढ़ भोपाल में शिवरात्रि के दिन की थी। इस यज्ञ के असीमित लाभ न केवल यज्ञकर्ता को बल्कि उनके परिवार, समाज और इस पूरी सृष्टि को प्राप्त होते हैं।
अग्निहोत्र एक ऐसा सूक्ष्म यज्ञ है जिस पर बहुत कम खर्च में असीमित लाभ मिलता है। प्रतिदिन सूर्योदय और सूर्यास्त के निश्चित समय पर, गाय के घी से मिश्रित दो चुटकी साबुत चावल को गाय के कंडों पर, अग्नि प्रज्वलित कर आहुति देकर किया जाता है। यह शारीरिक, मानसिक और तमाम प्रकार की विषाणु जनित बीमारियों को, वातावरण से मिटाने में समर्थ है।जिसे वैज्ञानिकों ने सिद्ध भी किया है।
सामूहिक अग्निहोत्र यज्ञ, प्राकृतिक जीवन शैली प्रचारक प्रदीप दीक्षित के निर्देशन में, रामचंद्र, सतीश गुप्ता, शशि कांत मिश्र, जगत जी, सुशील भदौरिया, विजय अग्निहोत्री आदि के प्रतिभाग से सफल रहा। सामूहिक यज्ञ के अंत में निर्णय लिया गया कि प्रत्येक महीने कम से कम एक बार सामूहिक रूप से, लखनऊ किसी भी स्थल पर अग्निहोत्र अवश्य किया जाएगा, ताकि, अधिकाधिक लोग इससे जुड़े और इसका लाभ उठाएं।