लखनऊ। आपका मुख्यमंत्री और सरकार जितनी भी ईमानदार और मेहनती हो,लेकिन यदि वह भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों की नकेल कस कर नहीं रख पाए तो सब ‘व्यर्थ’ हो जाता है। सरकारी नुमांइदे उसका(सरकार का) ‘चाल-चरित्र-चेहरा’ सब बिगाड़ कर रख देते हैं। यही वजह है प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ईमानदारी और नियत पर तो शक नहीं करती है, लेकिन ‘योगी सरकार’ बेदाग तरीके से चल रही है, इस पर किसी को भरोसा नहीं है। सरकारी नुमांइदों के मुंह भ्रष्टाचार का ऐसा ‘ख्रून’ लगा है कि जानलेवा महामारी कोरोना काल में भी वह अपने ‘कुकर्मो’ से बाज नहीं आ रहे हैं। जहां जिसका ‘दांव’ लग रहा है, वहां वह भ्रष्टाचार की ‘गंगा‘ बहा रहा है।
कहीं डाक्टर साहब और उनके सहयोगियों का कोरोना पीड़ित को तड़प-तड़प कर मरते देखते हुए दिल नहीं पसीजता है तो, कहीं कोरोना से निपटने के लिए खरीदे जा रहे उपकरणो-दवाइयों आदि में जमकर भ्रष्टाचार को पाला-पोसा जा रहा है। विपक्ष ने कोरोना के नाम पर चल रहे भ्रष्टाचार के खेल को उजागर करते हुए हो-हल्ला भी मचाया, लेकिन इस हो-हल्ले को किसी ने गंभीरता से नहीं, क्योंकि विपक्ष की तो आदत ही थी सुबह आंख खुलते ही योगी सरकार को ‘गाली’ देना। इसी के चलते दिन-प्रतिदिन भ्रष्टाचारियों के हौसले और बढ़ने लगे,लेकिन जिला सुलतानपुर और गाजीपुर में कोरोना के नाम पर किए गए घोटाले की चर्चा जब सुर्खिंयां बटोरने लगी तो योगी सरकार की भी आंख खुल गई। आनन-फानन में योगी सरकार ने प्रदेश भर में आॅक्सीमीटर व थर्मामीटर खरीद की जांच कराये जाने का फरमान जारी कर दिया।
योगी सरकार ने यह फरमान इस लिए जारी हुआ क्योंकि प्रदेश के जिला गाजीपुर और सुल्तानपुर में कोरोना जांच के लिए सर्वे किट (पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर) की खरीदारी में भ्रष्टाचार का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। यह और बात है कि चिकित्सा उपकरणोें की खरीद में अनियमितता बरतने पर शासन ने सुलतापुर और गाजीपुर के जिला पंचायत राज अधिकारियों (डीपीआरओ) को निलंबित कर दिया है,लेकिन इतना भर करने से काम नहीं चलने वाला है। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ देशद्रोह का केस बनना चाहिए।
बहरहाल,सुल्तानपुर के बाद इसी तरह के भ्रष्टाचार की खबरें अन्य जिलों से भी आ रही हैं। इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कांगे्रस और सपा-बसपा से अधिक आम आदमी पार्टी (आप) योगी सरकार पर हमलावर थी। इस मामले को उठाने वाले ‘आप’ सांसद संजय सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि प्रदेश के 75 में से 65 जिलों में खरीद में गड़बड़ी हुई है। संजय सिंह ही नहीं प्रदेश के अलग-अलग जिलों से भी ऐसे इनपुट मिल रहे थे कि कोरोना महामारी के दौर में भी कुछ सरकारी अधिकारी/कर्मचारी भ्रष्टाचार को फलने-फूलने का पूरा मौका दे रहे हैं।
इसी बीच प्रदेश के 6 और जिलों में भी कोरोना जांच किट खरीद में धांधली की बात सामने आई सरकार की ओर से डोर-टू-डोर सर्वे के लिए ग्राम पंचायतों को थर्मल स्कैनर और पल्स ऑक्सिमीटर खरीदने को कहा गया था। शुरुआती जांच में पता चला है कि सुलतानपुर के अलावा चंदौली, प्रतापगढ़, मैनपुरी, झांसी, फर्रुखाबाद और पीलीभीत में भी दोगुने से अधिक दाम पर खरीदी की गई। जानकारी के मुताबिक, प्रतापगढ़ में 2,700 रुपये के चाइनीज थर्मल स्कैनर और ऑक्सिमीटर को 12,500 रुपये में खरीद कर 1,255 ग्राम पंचायतों से बिल का भुगतान करने को कहा गया। वहीं, 100 से ज्यादा पंचायतों ने भुगतान भी कर दिया है। चंदौली में पंचायती राज विभाग ने 734 ग्राम सभाओं और 65 नगर निकाय वार्डों के लिए 1,598 थर्मल स्कैनर और पल्स ऑक्सिमीटर दोगुना से ज्यादा दाम पर खरीदे। वहीं, पीलीभीत में बिना टेंडर प्रक्रिया के एक ही कंपनी से 47.21 लाख रुपये से अधिक की खरीद कर 720 ग्राम पंचायतों को बिल भेज दिए गए। मैनपुरी में भी ग्राम पंचायतों ने स्कैनर और ऑक्सिमीटर की खरीद बाजार से दोगुने दाम पर खरीद की। यहां ढाई हजार रुपये के उपकरणों के लिए 55सौ से छह हजार रुपये का भुगतान किया गया। झांसी में 1500 रुपये का ऑक्सिमीटर 4000 रुपये में खरीदने और फर्रुखाबाद में एक ही कंपनी से दोगुने दाम पर खरीद का पता चला है। वहीं, पीलीभीत में बिना टेंडर प्रक्रिया के एक ही कंपनी से 47.21 लाख रुपये से अधिक की खरीद कर 720 ग्राम पंचायतों को बिल भेज दिए गए। मैनपुरी में भी ग्राम पंचायतों ने स्कैनर और ऑक्सिमीटर की खरीद बाजार से दोगुने दाम पर खरीद की। यहां ढाई हजार रुपये के उपकरणों के लिए 55सौ से छह हजार रुपये का भुगतान किया गया।
यह भ्रष्टाचार नहीं पनपता यदि सरकारी आदेशानुसार खरीद की जाती। 19 जून को मुख्य सचिव राजेन्द्र तिवारी ने आदेश जारी किया था कि सभी विभागों में कोविड-19 के लिए जरूरी सामग्री जेम पोर्टल से ही खरीद की जाए। यदि कोई वस्तु, सामग्री, सेवा जेम पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है, तो पत्रावली पर विभागाध्यक्ष अथवा कार्यालयाध्यक्ष स्वयं प्रमाणित करेंगे, कि वह वस्तु जेम पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है। इसके बाद ही ई-टेंडर के जरिए खरीद होगी। यदि किसी भी दूसरी प्रक्रिया से खरीद होती है तो वह वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में मानी जाएगी, लेकिन उसके बाद भी जिलों में खरीदी चलती रही। सुलतानपुर में जब पल्स ऑक्सिमीटर और आईआर थर्मामीटर की खरीदी शुरू हुई, तो कोई भी ई-टेंडर नहीं करवाया गया। मनमुताबिक फर्म को सप्लाई का ठेका दे दिया गया। महामारी के समय कुछ सरकारी कर्मचारियों द्वारा जिस तरह से भ्रष्टाचार के कारनामों को अंजाम दिया जा रहा है,उससे विपक्ष ही नही बीजेपी नेता भी काफी नाराज बजाए जा रहे हैं।
गौरतलब हो, सुलतानपुर के भाजपा विधायक देव मणि द्विवेदी ने भी अपनी ही प्रदेश सरकार को एक पत्र लिखकर शिकायत की थी कि उनके जिले में स्वास्थ्य किट कई गुना दाम पर खरीदे गए है, जिसके बाद जिलाधिकारी ने आरोपों को गलत बताया था। जिलाधिकारी की सफाई के बाद भी भाजपा विधायक ने फिर से कुछ सवाल खड़े कर दिये थे। उधर, कोविड-19 की जांच सामग्री की खरीद में जिलाधिकारी पर भ्रष्टाचार का मामला वायरल होते ही विपक्ष ने भी इसे हाथों-हाथ लपक लिया है। आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी व सुल्तानपुर निवासी संजय सिंह और सुल्तानपुर सदर से समाजवादी पार्टी के विधायक रहे अनूप संडा ने खुला आरोप लगाया कि योगी सरकार अफसरों के माध्यम से प्रदेश में जनता की गाढ़ी कमाई को लूट रही है। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर भी प्रश्न खड़े किये।
लब्बोलुआब यह है कि कोरोना से निपटने में योगी सरकार तभी सफल हो पाएंगी, जब उसे सरकारी मशीनरी के साथ-साथ जनता का भी पूरा सहयोग मिलेगा। एक तरफ सरकारी अधिकारी/कर्मचारी भ्रष्टाचार फैला कर कोरोना के खिलाफ मुहिम को कमजोर कर रहे हैं तो दूसरी तरफ आज जनता कोरोना से बचाव के लिए सरकार द्वारा जारी प्रोटोकाॅल को तार-तार किया जा रहा है। कोरोना वायरस के चलते जिस गति से संक्रमित मरीजों की संख्या और मौतों का आकड़ा बढ़ा है। उसे देखते हुए यही कहा जा सकता है कि जनता आवश्यक हिदायतों का पालन करके ही इस महामारी से अपना बचाव कर सकती है।जब तक कोई वैक्सीन नहीं आ जाती है तब तक कोरोना से बचाव ही सबसे बड़ा हथियार है। सबसे चैकानें और परेशान करने वाली बात यह है कि जिन शहरों में कोरोना संक्रमितों की संख्या में कमी देखने को मिल रहीथी, वहां उनकी संख्या फिर से बढ़ रही है। कुछ मामले तो ऐसे भी आ रहे हैं जिसमें एक व्यक्ति ठीक होने के बाद पुनः कोरोना पीड़ित हो रहा है,जबकि ऐसा माना जाता था कि एक बार कोरोना पाॅजिटिव होने के बाद जब कोई ठीक हो जाता है तो उसके शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम प्लाजमा बनने लगता है।
खैर, विभिन्न स्तरों पर यह बात बार-बार कही जा रही है कि सैनेटाइजर, मास्क और शारीरिक दूरी सरीखे उपायों को अपनाकर ही कोराना से मुकाबला किया जा सकता है। बावजूद इसके, आम जनता के बीच लापरवाही देखने को मिल रही है। सार्वजनिक स्थलों पर एक-दूसरे से दूरी बनाकर रखने के मामले में लोग खतरे को भूल जाते है। इसे जानबूझकर खतरे को आमंत्रण देने वाला ही कहा जाएगा। अक्सर देखने में आता है कि मास्क का इस्तेमाल करने से या तो लोग बच रहे हैं या फिर उसका समुचित तरीके से प्रयोग नहीं कर रहे। यह बात चिंताजनक है। सरकार अपनी रोगियों के उपचार का हरसंभव जतन कर रही है, लेकिन इसका तात्पर्य यह कतई नहीं कि आप बेफ्रिक होकर सब कुछ सरकार के भरोसे छोड़कर बैठे जाएं। सरकार के प्रयासों को तभी सफलता मिल सकती है जब संक्रमण से बचाव के लिए हर आदमी बचाव के लिए प्रयत्नशील नजर आए। बार-बार हाथ धोएं, हाथ धोने के लिए साबुन और पानी या अल्कोहल वाले हैंड रब का इस्तेमाल करें। यदि आपके आसपास कोई खांस या छींक रहा है, तो उससे उचित दूरी बनाए रखें। शारीरिक दूरी बनाना संभव न हो, तो मास्क लगाएं। आंख, नाक, या मुंह को बार-बार न छुएं। खांसने या छींकने पर नाक और मुंह को कोहनी या टिश्यू पेपर से ढक लें। यदि आप ठीक नही महसूस कर रहे है, तो बेहतर होगा घर पर ही रहें। यदि आपको बुखार, खांसी है और सांस लेने में परेशानी हो रही है, तो डाॅक्टर के पास जाएं। उचित होगा कि लोग समझें कि अगर यह सब सावधानियां नहीं बरती गईं तो कोरोना पर काबू पाने की सरकार की कोशिशें धरी की धरी रह जाएंगी।
बात जहां तक योगी सरकार की है तो वह लगातार तो प्रयासरत है। कोरोना पीड़ितों के लिए बैड में इजाफा किया जा रहा है। इसी क्रम में 07 सिंतबर को लखनऊ में कोरोना मरीजों के लिए लेवल-3 के कोविड अस्पताल का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि आइसोलेशन के ज्यादातर बेड को आइसीयू में बदला जाए। केजीएमयू, लोहिया संस्थान व एसजीपीजीआइ में मुझे अगले हफ्ते तक लेवल-3 के एक हजार कोविड बेड चाहिए। इसके लिए संस्थान मैनपाॅवर की व्यवस्था करें। सरकार मदद को तैयार है। योगी सरकार ऐसे निजी चिकित्सा संस्थानों पर भी शिकंजा कस रही है,जो कोविड-19 की आड़ में जनता को लूटने में लगे हैं।