किसी रेल कर्मचारी या उसके परिवार के सदस्य के कोरोना संक्रमित होने पर रेलवे ने जो सहायता राशि देने की घोषणा की है, वह कई सवाल खड़े कर रही है। पश्चिम मध्य रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि रेल कर्मचारी के कोरोना से संक्रमित होने पर 3 हजार रुपए और उसके परिवार के सदस्य के संक्रमित होने पर 5 हजार रुपए की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। आदेश के अनुसार केंद्रीय कर्मचारी कल्याण निधि से यह राशि दी जाएगी। रेलवे के इस आदेश को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि 3 या 5 हजार रुपए की राशि देने का क्या औचित्य है जबकि कोरोना संक्रमण का इलाज बेहद महंगा साबित हो रहा है। हालांकि दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि रेलवे के अपने अस्पताल हैं और वे वहां रेलकर्मियों का इलाज करवा रहे हैं।
रेलवे पर कोरोना का प्रतिकूल असर
रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक, अब तक कोरोना से 1952 कर्मचारी जान गंवा चुके हैं और हर दिन करीब 1000 कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। रेलवे न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है, जिसमें करीब 13 लाख कर्मचारी काम करते हैं। इनमें चतुर्थवर्गीय कर्मचारी से लेकर वरिष्ठतम पदाधिकारी तक शामिल हैं। एक अनुमान के मुताबिक अब तक करीब एक लाख रेल कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं।
संकट के दौर में क्या है रेलवे की तैयारी
कोरोना काल में तमाम चुनौतियों से जूझ रहे रेलकर्मियों के लिए रेलवे कई स्तर पर प्रयास कर रहा है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सुनीत शर्मा का कहना है कि “रेलवे किसी राज्य या क्षेत्र से अलग नहीं है और हम भी लगातार कोविड संक्रमण झेल रहे हैं। हम ट्रांसपोर्ट यानी परिवहन का काम करते हैं और लोगों को और सामानों को लाते और ले जाते हैं। ऐसे में कोरोना के रोजाना करीब 1000 मामले सामने आ रहे हैं।” उपायों को लेकर उन्होंने कहा, हमारे अपने अस्पताल हैं।हमने बिस्तरों की संख्या बढ़ाई है. रेल अस्पातलों में ऑक्सीजन प्लांट बनाए गए हैं। हम अपने कर्मियों का ध्यान रख रहे हैं। फिलहाल 4000 रेलवे कर्मी या उनके परिवार के सदस्य रेलवे के अस्पतालों में भर्ती हैं। हमारा यह प्रयास है कि सभी जल्दी ठीक हों।
फ्रंटलाइन वर्कर्स की तरह मिले मुआवजा
रेलकर्मियों के एक संघ ने कुछ दिन पहले कोरोना के कारण जान गंवाने वाले रेलकर्मी के परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने की मांग की थी। इस संबंध में संघ ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर मांग की थी कि कोरोना संकट के दौरान ड्यूटी करते हुए जान गंवाने वाले रेलकर्मियों के परिजनों को फ्रंटलाइन वर्कर्स की तरह ही मुआवजा दिया जाए। फिलहाल इन्हें 25 लाख रुपये देने का प्रावधान है, जबकि संघ की मांग है कि उन्हें 50 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए।
रेलकर्मियों ने की 25 के बजाय 50 लाख मुआवजे की मांग
आल इंडिया रेलवे मैन फेडरेशन ने अन्य विभाग के कर्मियों की तरह कोरोना संक्रमण से मरनेे वाले रेल कर्मियों के परिवार वालों को 50 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने की मांग उठाई है। देश भर के रेलवे कर्मचारी इस मांग को उठाते हुए रेल मंत्री को पत्र भेज रहे हैं।
आल इंडिया रेलवे मैन फेडरेशन के राष्ट्रीय महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा ने रेल मंत्री को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि कोरोना संक्रमण के कारण बड़ी संख्या में रेल कर्मियों की मौत हो चुकी है। इसके बाद भी कर्मचारियों ने ट्रेन संचालन रुकने नहीं दिया है। केंद्र सरकार ने अन्य विभागों के किसी कर्मचारी की कोरोना संक्रमण से मौत होने पर आश्रितों को 50 लाख रुपये के मुआवजे की व्यवस्था है। वहीं कोरोना योद्धा घोषित होने के बावजूद रेल कर्मी की मौत होने पर 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जा रहा है। रेल मंत्री से मांग है कि संक्रमित रेलवे कर्मियों की मौत होने पर 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। इसके बाद नरमू नेताओं से रेल मंत्री को पत्र भेजना शुरू कर दिया है। नरमू के मंडल मंत्री राजेश चौबे ने बताया कि मुरादाबाद में रेल मंडल में छह सौ से अधिक रेलवे कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। जिसमें सात रेल संक्रमित कर्मियों की मौत हो चुकी है। रेल प्रशासन उसके परिवार वालों को 50 लाख के स्थान पर 25 लाख का मुआवजा दे रहा है। जिससे रेल कर्मियों में आक्रोश है।