भारत में प्रोस्टेट समस्याओं का प्रसार तेजी से बढ़ रहा है. दिल्ली कैंसर रजिस्ट्री के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में दूसरा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है. साथ ही सभी जानलेवा बीमारियों में इसकी हिस्सेदारी 6.78 प्रतिशत है. दिल्ली कैंसर रजिस्ट्री के मुताबिक, दिल्ली, कोलकाता, पुणे और तिरुवनंतपुरम जैसे बड़े भारतीय शहर कैंसर की दूसरी सबसे बड़ी जगहें हैं, वहीं बेंगलुरू और मुंबई जैसे शहर तीसरी प्रमुख जगहें हैं. यह भारत के शेष पापुलेशन बेस्ड रजिस्ट्री फॉर कैंसर (पीबीआरसी) में कैंसर फैलने के शीर्ष 10 प्रमुख शहरों में शामिल हैं.
संस्था की तरफ से जारी बयान के अनुसार, कैंसर प्रोजेक्शन डेटा बताते हैं कि 2020 तक इन मामलों की संख्या दोगुनी हो जाएगी. प्रोस्टेट कैंसर दिल्ली में पुरुषों के बीच दूसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला कैंसर है, साथ ही सभी जानलेवा बीमारियों में इसकी हिस्सेदारी 6.78 प्रतिशत है. बयान में वीएमएमसी और सफदरजंग हॉस्पिटल में यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. अनुप कुमार ने कहा, “कई पुरुषों में उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट के विकसित होने की समस्या होती है, क्योंकि यह ग्रंथि अपने जीवनकाल में बढ़ने से नहीं रुकती. पुरुषों को बढ़ती उम्र के साथ बीपीएच/प्रोस्टेट कैंसर की जांच करने के लिए नियमित प्रोस्टेट स्क्रीनिंग करवानी चाहिए.”
उन्होंने कहा, “पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में उम्र-आधारित पीएसए रेंज काफी कम है. भारत में प्रोस्टेट कैंसर का निदान अभी भी बाद के चरणों में शुरू होता है. भारत में स्थानीयकृत : 20-25 प्रतिशत, स्थानीय स्तर पर एडवांस्ड : 30-35 प्रतिशत, मेटास्टैटिक : 40-45प्रतिशत (सफदरजंग डेटा). पश्चिमी देशों में यह स्थानीयकृत : 60-65 प्रतिशत, स्थानीय रूप से उन्नत : 20-25 प्रतिशत, मेटास्टैटिक : 10-15 प्रतिशत है.”
डॉ. कुमार ने कहा, “यदि आपको मूत्र संबंधी समस्याएं हैं तो अपने डॉक्टर से चर्चा करें. यहां तक कि यदि आपको मूत्र संबंधी परेशानी के लक्षण नहीं हैं तो किसी भी अंतर्निहित कारणों को पहचानना या उनके न होने की पुष्टि करना महत्वपूर्ण है.” आईसीएमआर और विभिन्न राज्यों की कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार भारत में प्रोस्टेट कैंसर भारतीय पुरुषों में दूसरा सबसे आम कैंसर है. भारत में प्रति लाख पर इसकी दर 9-10 है, जो एशिया और अफ्रीका के अन्य हिस्सों की तुलना में काफी अधिक है.