इस पुस्तक में ज्ञान का इतना भंडार है कि, जिस तरह गोताखोर समुद्र में गोता लगाकर मोती ढूंढ़ लाता है, उसी प्रकार पाठक को गोता लगाकर इस पुस्तक से अपने मतलब का मोती ढूंढ़ना है।- राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी
- Published by- @MrAnshulGaurav
- Friday, April 08, 2022
महाराष्ट्र: राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने राजभवन में आयोजित एक समारोह में वरिष्ठ सहायक प्रबंधक (राजभाषा) और लेखिका डॉ. मीना राजपूत और वरिष्ठ पत्रकार राकेश कुमार दुबे की पुस्तक ‘अंतर-तम–ज्ञान’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर महामहिम ने कहा कि यह पुस्तक अंतर्तम ज्ञान नहीं, अंतर्मन ज्ञान से ओतप्रोत है।
उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में ज्ञान का इतना भंडार है कि, जिस तरह गोताखोर समुद्र में गोता लगाकर मोती ढूंढ़ लाता है, उसी प्रकार पाठक को गोता लगाकर इस पुस्तक से अपने मतलब का मोती ढूंढ़ना है।
एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. माधुरी छेड़ा ने कहा कि अंतर-तम-ज्ञान डॉ. मीना राजपूत और राकेश कुमार दुबे की लिखी एक ऐसी किताब है जो पाठक के अंतरतम में छाए अज्ञान के अंधेरे को दूर करने के लिए अंतर-भेद बताते हुए या तुलनात्मक अध्ययन से निष्पन्न निष्कर्ष को सरल भाषा में समझाते हुए अज्ञान के अंधेरे को दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाती है।
डॉ माधुरी ने आगे कहा कि ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ वैसे भी यह हमारी भारतीय संस्कृति का ध्रुव वाक्य है। यह पुस्तक मानो इस वाक्य का साकार रूप है। एक सजग, सचेत, संज्ञात मन के मनुष्य या मानव-समाज से संबंधित जितने भी विषय हो सकते हैं, उन्हें इस पुस्तक में सीप में अनमोल मोती की तरह समाने का प्रयास किया गया है। पाषाण-युग से इंटरनेट के युग तक मनुष्य जीवन के जो अमाप, अनंत, व्यापक आयाम हैं – ज्ञान-विज्ञान, भाषा, साहित्य, साहित्य की विविध विधाएं, रचनाकार, उनका तुलनात्मक अध्ययन, भाषा के विविध रूप, अनुवाद, अर्थशास्त्र, इतिहास-भूगोल, समाजशास्त्र और नागरिक शास्त्र, भारत की भव्य संस्कृति सब कुछ इस पुस्तक में समाहित है।
इस अवसर पर महामहिम ने डॉ. माधुरी छेड़ा, भारत मर्चेंट्स चेंबर के ट्रस्टी राजीव सिंगल, चार्टर्ड अकाउंटेंट नागेश दुबे, पूर्व मंत्री अमरजीत मिश्रा और शिक्षाविद वीरेंद्र प्रसाद द्विवेदी का सम्मान किया। कार्यक्रम में कई गणमान्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन राकेश कुमार दुबे ने किया और डॉ. मीना राजपूत ने सभी का आभार व्यक्त किया।