लाइफस्टाइल में थोड़ी सी भी लापरवाही की वजह से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती हैं। इन्हीं में से एक है सिर और गर्दन का कैंसर मुख्यतः व्यक्ति की जीवनशैली की गतिविधियों के कारण विभिन्न कार्सिनोजेन्स के संपर्क में आने कारण होते हैं।
दुनियाभर में युवाओं और किशोरों में सिर व गले के कैंसर के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसका खुलासा अमेरिका की सेंट लुइस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा की गई एक रिसर्च व स्टडी से होता है। इसके अनुसार पिछले बीस साल के दौरान युवाओं व किशोरों में सिर और गले के कैंसर के मामलों में 51 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। भारत में भी हर साल इस कैंसर के 12 लाख नए मामले सामने आ रहे हैं।
क्या हैं ये कैंसर?
ऐसे ट्यूमर जो होंठों, मुख नली, फैरिंक्स (नाक व ओरल कैविटी को जोड़ने वाली नली) या लैरिंक्स (गले का सबसे ऊपरी हिस्सा जहां से ध्वनि निकलती है) में उत्पन्न होते हैं, उन्हें हेड एंड नेक स्क्वामस सेल कारसीनोमा (एचएनएससीसी) यानी सिर व गर्दन का कैंसर कहा जाता है। स्टडी के अनुसार दुनिया भर में कैंसर के लगभग 6 प्रतिशत मामले इस तरह के कैंसर से जुड़े होते हैं। कैंसर से होने वाली सभी मौतों में से अनुमानतः 1 से 2 फीसदी मौतें सिर और गर्दन के कैंसर से होती हैं।
कैसे होता है गले व सिर का कैंसर
गले के कैंसर के लिए मुख्य रुप से तंबाकू का सेवन जिम्मेदार होता है। गर्दन से जुड़े कैंसर के मामले में 80 प्रतिशत तंबाकू में मौजूद टार जिम्मेदार होता है। तंबाकू के साथ ही जो लोग एल्कोहल का सेवन करते हैं उनमें करीब 38 फीसदी कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। क्योंकि इससे म्यूकोसल इंजरी का खतरा बढ़ता है।
– कुछ वायरस जैसे एचपीवी, एचआईवी, ईबीवी और हर्पीस भी गले के कैंसर का कारण बनते हैं।
– ज्यादा नमक वाली प्रोसेस्ड चीजें, ग्रिल्ड व भुना हुआ मीट ज्यादा खाना भी कैंसर का कारण बन सकता है।
– भोजन में केरेटेनॉएड्स, फॉलिक एसिड, विटामिन्स और डाइटरी फाइबर की कमी इसके खतरे बढ़ाती है।
– ज्यादा समय तक लिपबाम और एसपीएफ युक्त सनस्क्रीन का इस्तेमाल भी गले के कैंसर का कारण बन जाता है।