पिछले छह माह के दौरान Tata Motors की केवल एक Nano कार की बिक्री ने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की बेकार हालत को लेकर व चिंता पैदा कर दी है. टाटा मोटर्स ने इस साल जनवरी से एक भी Nano कार का प्रोडक्शन नहीं किया है जबकि फरवरी से एक भी नैनो कार की बिक्री नहीं की है. हालांकि कंपनी का बोलना है कि बिक्री गिरने के कारण Nano का उत्पादन बंद करने के बारे में उसने अभी तक कोई औपचारिक फैसला नहीं लिया है.
कंपनी के प्रवक्ता ने बोला कि हम मांग के मुताबिक बिक्री कर रहे हैं. इससे पहले पिछले वर्ष दिसंबर में कंपनी ने सानंद प्लांट में 82 Nano कारों का प्रोडक्शन किया था. इसके बाद जनवरी से लेकर जून तक एक भी Nano नहीं बनाई गई है. इतना ही नहीं, इस अवधि में एक भी Nano का निर्यात नहीं हुआ. इससे पहले टाटा मोटर्स ने इशारा दिए थे कि अप्रैल, 2020 से नैनो का उत्पादन बंद कर दिया जाएगा व भविष्य में इस कार पर व निवेश की कंपनी की कोई योजना नहीं है.
Tata Nano कारों की रेंज में एंट्री लेवल कार है व यह रतन टाटा के दिमाग की उपज थी. उन्होंने दोपहिया वाहनों पर सवारी करने वाले परिवारों को Nano के रूप में एक सुरक्षित व किफायती विकल्प देने की परिकल्पना की थी, लेकिन भारतीय उपभोक्ता की ओर से इसे इतना ज्यादा पसंद नहीं किया गया.
Tata Nano को 2009 में लगभग एक लाख रुपये की मूल्य में उतारा गया था. इससे पहले टाटा मोटर्स के पैसेंजर व्हीकल यूनिट के अध्यक्ष मयंक पारीक ने यह भी संकेत किया कि टाटा मोटर्स के कुछ मौजूदा उत्पादों को BS-6 मानदंडों के कारण बंद कर दिया जाएगा. अब Nano के अतिरिक्त व दूसरे कौन से यात्री वाहन होंगे, इस बात पर कोई स्पष्टता सामने नहीं आई है.