राष्ट्रीयस्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने एक बार फिर संस्कृत पर जोर देते हुए बोला है कि हिंदुस्तान को वो ही लोग समझ सकते हैं जिन्हें संस्कृत के बारे में जानकारी हो। संस्कृत को जाने बिना हिंदुस्तान को पूरी तरह से समझना कठिन है। नागपुर में एक पुस्तक के विमोचन प्रोग्राम में शिरकत करने पहुंचे आरएसएस प्रमुख ने बोला कि देश में सभी मौजूदा भाषाएं, जिसमें आदिवासी भाषाएं भी शामिल हैं वह कम से कम 30 फीसदी संस्कृत के शब्दों से बनी हैं। भागवत ने बोला ने कि डाक्टर बीआर आंबेडर हमेशा इस बात पर अफसोस जताते रहे कि उन्हें संस्कृत सीखने का मौका नहीं मिल सका। आंबेडकर कहते थे कि देश की परंपराओं के बारे में जानने के लिए संस्कृत का ज्ञान होना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, हिंदुस्तान में ऐसी कोई भी भाषा नहीं है, जिसे तीन से चार महीनों में नहीं सीखा जा सकता है। अगर कोई अपनी भाषा में बोलता है तो भले ही हम उसे पहली बार में समझ न सकें लेकिन अगर उस भाषा को धीरे-धीरे कहा जाए तो उसका भाव समझ में आने लगता है। इसका सबसे बड़ा कारण है संस्कृत है।
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संघ प्रमुख ने कहा, संस्कृत ज्ञान की भाषा है व (प्राचीन) खगोल विज्ञान, कृषि व आयुर्वेद के सभी ज्ञान संस्कृत में ही पाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, हिंदुस्तान के पूर्व-आधुनिक इतिहास के संसाधन भी केवल संस्कृत में हैं। भागवत ने बोला कि संस्कृत को जाने बिना हिंदुस्तान को पूरी तरह से समझना कठिन है।