कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) एस ऐसा सेविंग इंस्टूमेंट है जो आमतौर पर किसी आदमी के जरिए पहली जॉब की आरंभ में प्रारम्भ किया जाता है. ईपीएफ अकाउंट में कर्मचारी व नियोक्ता दोनों के जरिए सैलरी का 12.5 फीसद सहयोग किया जाता है. ईपीएफ अकाउंट में जमा राशि को रिटायरमेंट के बाद ही निकाला जा सकता है, लेकिन ईपीएफओ कई स्थितियों में आंशिक निकासी का मौका देता हैइसका मतलब है कि कोई आदमी ईपीएफओ के अनुसार बीच में भी ईपीएफ अकाउंट से आंशिक निकासी कर सकता है. ईपीएफओ की तरफ से निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार, सदस्य को बीमारी, शिक्षा, शादी, घर की खरीद सहित कई उद्देश्यों के लिए आंशिक निकासी की अनुमति है. भिन्न-भिन्न स्थितियों में निकाले जाने वाला अमाउंट भिन्न-भिन्न होता है.
हाल ही में ईपीएफओ ने आंशिक निकासी के मानदंडों में राहत दी है, जिसके अनुसार कोई सदस्य पीएफ अकाउंट से 1 महीने से अधिक बेरोजगार रहने की स्थिति में 75 फीसद तक पैसा निकाल सकता है. इसी के साथ एक सदस्य 54 साल की आयु के बाद या रिटायरमेंट से एक वर्ष पहले पीएफ अकाउंट से 90 फीसद तक पैसा निकाल सकता है.
आंशिक निकासी के अलावा, ईपीएफओ ईपीएफ डिपॉजिट पर कर्ज़ की सुविधा भी देता है. एक आदमी ईपीएफ अकाउंट में जमा डिपॉजिट पर रिफंडेबल कर्ज़ या नॉन रिफंडेबल कर्ज़प्राप्त कर सकता है. रिफंडेबल कर्ज़ को वापस करना होता है जबकि नॉन रिफंडेबल कर्ज़ आंशिक निकासी की तरह की है.
कोई भी आदमी जॉब में 7 वर्ष सारे करने के बाद खुद की शादी, बेटी/बेटा/बहन/भाई की शादी, खुद की उच्च शिक्षा, बेटा/बेटी की एजुकेशन आदि के लिए 50 फीसद तक पैसा निकाल सकता है.
बीमारी के स्थिति में सदस्य को अपने डीए या कुल जमा का 6 महीने तक का सहयोग निकालने की अनुमति है. ईपीएफओ ने बीमारी के लिए आंशिक निकासी पर कोई लॉक इन पीरियड नहीं तय किया है.
घर खरीदने या बनाने के लिए ईपीएफ सदस्य 5 वर्ष की जॉब के बाद 36 माह की बेसिक सैलरी व डीए या कर्मचारी व नियोक्ता की तरफ से सारे सहयोग या घर की कुल लागत जितने अमाउंट को निकालने की अनुमति मिलती है.