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अब बच्चो को नही रहना पड़ेगा मां के दूध से वंचित…

अब किसी भी बच्चे को मां के दूध से वंचित नहीं रहना पड़ेगा. यह संभव होगा बीएचयू अस्पताल में बनने वाले प्रदेश के पहले मदर मिल्क बैंक की बदौलत. यह दूध बैंक माडर्न मैटरनल एंड चाइल्ड हेल्थ (एमसीएच) विंग में बनाया जाएगा.इस पर अस्पताल के अफसरों के साथ एनएचएम और सहयोगी संस्था के अधिकारियों से बात हो चुकी है. भवन का निर्माण किया जा रहा है. एमसीएच विंग की इंचार्ज प्रो मधु जैन ने बताया कि यह मिल्क बैंक प्रसूताओं की काउंसिलिंग भी करेगा, ताकि उन्हें बच्चों को स्तनपान कराने के प्रति प्रोत्साहित किया जा सके.उन्होंने बताया कि इस पहल का लाभ शिशु मृत्युदर में कमी के रूप में सामने आएगा. मां के दूध में उपस्थित पोषक तत्व नवजातों को बीमारियों और संक्रमण से भी बचाते हैं. प्रो जैन ने बताया कि आशा  एएनएम की मदद से गांव-गांव तक यह बात पहुंचाई जाएगी कि मां का दूध शिशु के लिए कितना महत्वपूर्ण है.

दूध छह माह तक सुरक्षित रहेगा
मदर मिल्क बैंक में इलेक्ट्रिक पंप होता है. इससे डोनर से दूध एकत्र किया जाता है. इस दूध का माइक्रोबायोलॉजिकल टेस्ट होता है. दूध की गुणवत्ता ठीक होने पर उसे कांच की बोतलों में लगभग 30 मिलीलीटर की यूनिट बनाकर 0.20 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर रख दिया जाता है. बैंक में दूध छह माह तक सुरक्षित रह सकता है. दूध उन माताओं की काउंसिलिंग कर लिया जाएगा, जिनके बच्चों की पैदा होते ही किसी वजह से मृत्यु हो जाती है. इसके अतिरिक्त कुछ माताओं को दूध बेहद होता है.

एमसीएच विंग में आईवीएफ सेंटर और कंगारू केयर
प्रो जैन ने बताया कि नि: संतान दंपतियों के उपचार के लिए यहां एम्स की तरह आईवीएफ सेंटर भी बन रहा है. इस प्रस्ताव को केन्द्र सरकार से अनुमति मिल गई है. बांझपन की समस्या को देखते हुए इसके लिए अलग प्रस्ताव बनाया गया था. विंग की एक मंजिल पर आईवीएफ सेंटर स्थापित होगा. गरीब दंपतियों को यहां सरकारी दर पर उपचार मिलेगा. यहां कंगारू केयर यूनिट भी बन रहा है. इसमें उन बच्चों को रखा जाएगा जिनका जन्म के समय कम वजन होता है.

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