वाराणसी: बीएचयू में 31 मार्च को इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस (आईओई) स्कीम बंद होने के बाद भी 25 योजनाएं जारी रहेंगी। इसके लिए 75 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। भारत सरकार की ओर से पांच साल पहले पूरा 1000 करोड़ का फंड मिला था, लेकिन अब बीएचयू खुद के संसाधनों से फंड जुटाएगा।
जरूरत पड़ने पर विवि प्रशासन भारत सरकार से भी वार्ता करेगा। जिन छह योजनाओं को बंद किया जा रहा है, उनसे विश्वविद्यालय को कोई लाभ नहीं मिल रहा था। उसमें लगे फंड का इस्तेमाल आईओई के बनाए उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सका है।
जनकारी के अनुसार, बीएचयू ने अपने इन 25 स्कीम के लिए हर साल के खर्च का अनुमान लगा लिया है। विश्वविद्यालय के दुकानों के रेंट, स्क्रैप और अन्य माध्यम से फंड जुटाने का प्रयास किया जाएगा। खास बात ये कि बीएचयू अपने प्रोफेसरों को एसेसरीज खरीदने के नाम पर 1-1 लाख रुपये क्रेडिट करेगा।
हर साल 1600 प्रोफेसरों और शिक्षकों को 1-1 लाख रुपये दिए गए। हर साल 16 करोड़ रुपये खर्च हुए। इस योजना को जारी रखने के पीछे वजह है कि इस धन से वैज्ञानिकों को फर्नीचर, लैब टूल, प्रिंटर, लैपटॉप एसेसरीज खरीदारी करने में आसानी होगी।
यूजी-पीजी को 6000, पीएचडी को 8000 मिलेंगे
एसआरके इंटर्नशिप, एनी बेसेंट कॉलेज टीचर एक्सचेंज प्रोग्राम, टीच फॉर बीएचयू, न्यू जवाइनिंग सीड ग्रांट, ब्रिज ग्रांट, इंटरनेशनल विजिटिंग स्टूडेंट प्रोग्राम, रिसर्च प्रमोशन स्कीम, सेल्फ फाइनेंस में यूजी-पीजी को 6000 और पीएचडी को 8000 रुपये दिए जाएंगे। नॉन नेट रिसर्च स्कॉलर को हर साल 84000 रुपये की इंसेंटिव और यूजीसी फेलोशिप मिलती रहेगी।
प्रोफेसरों और लैब की क्षमता बरकरार रखने के लिए 20 करोड़ की मदद, दरभंगा नरेश रामेश्वर सिंह विजिटिंग फैकल्टी प्रोग्राम, प्रोफेशनल डेवलपमेंट फंड, एक्सीलेंस एक्सपोजर प्रोग्राम, पीएचडी छात्रों के लिए एक्सटर्नल रिसर्च एक्सपीरियंस, विजिटिंग प्रोफेसर, स्कॉलर्स, स्पोर्ट्समैन, आर्टिस्ट के लिए प्रोग्राम।