वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने वार्षिक रिटर्न भरने की अवधि दो महीने बढ़ाते हुए जीएसटी के लिए पंजीयन को भी सरल बना दिया है जिससे अब सिर्फ आधार नंबर की ही जरूरत पड़ेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में परिषद की शुक्रवार को यहां हुई 35वीं बैठक में ये निर्णय लिए गए। बैठक के बाद श्रीमती सीतारमण ने संवाददाताओं को यह जानकारी देते हुए कहा कि कर्नाटक, तेलंगाना और मिजोरम के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री या वित्त मंत्री इस बैठक में शामिल नहीं हुए हैं। इन तीनों मुख्यमंत्रियों से उन्होंने कल रात बात की थी और उन्होंने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों की वजह से इसमें आने में असमर्थता जताई थी लेकिन उनके प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए हैं। वित्त मंत्री बनने के बाद पहली बार इस बैठक में शामिल हुई श्रीमती सीतारमण से राज्यों के वित्त मंत्रियों ने परिषद की नियमित अंतराल पर बैठक बुलाने की भी अपील की।
राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि मुनाफाखोरी रोधी राष्ट्रीय संगठन का कार्यकाल दो वर्ष बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इसका कार्यकाल इसी वर्ष समाप्त हो रहा था। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही मुनाफाखोरी करने वाली कंपनियों पर लगने वाले जुर्माना को भी कठोर बनाया गया है। अभी मुनाफाखोरी की राशि और 25 हजार रुपये का जुर्माना होता है लेकिन अब 30 दिनों के भीतर इस राशि को जमा नहीं कराने पर मुनाफाखोरी वाली राशि का 10 प्रतिशत हिस्सा अतिरिक्त जमा कराना होगा।
उन्होंने कहा कि जीएसटी के लिए वार्षिक रिटर्न भरने की अवधि 30 जून है जिसे बढ़ाकर 30 अगस्त 2019 कर दिया गया है। मई महीने के लिए जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि आज समाप्त हो रही है लेकिन ईवे बिल प्रणाली में कुछ खामियां आने के कारण इसकी अवधि भी दो महीने बढ़ा दी गयी है। उन्होंने कहा कि जीएसटी के लिए पंजीयन को सरल बना दिया गया है। इसके लिए पहले कई दस्तावेजों की जरूरत पड़ती थी लेकिन अब सिर्फ आधार नंबर से ही काम हो जायेगा और उसी के आधार पर ऑनलाइन पंजीयन हो जायेगा।