राजधानी दिल्ली में कुछ ही महीने बाद चुनाव होने हैं। इससे पहले भोजपुरी व मैथिली भाषियों को रिझाने के लिए केजरीवाल सरकार ने बड़ा दांव चला है। सरकार ने घोषणा की है कि अब दिल्ली के स्कूलों में वैकल्पिक विषय के तौर पर मैथिली को पढ़ाया जाएगा व भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए केन्द्र से अनुरोध भी किया जाएगा। हालांकि केजरीवाल सरकार ने इस निर्णय को मैथिली व भोजपुरी को बढ़ावा देने वाला बताया है। घोषणा के मुताबिक, आठवीं कक्षा से 12वीं तक के तौर पर पढ़ाने व सिविल सर्विसेस की तैयारी करने वाले ऐसे विद्यार्थियों को मुफ्त कोचिंग का प्रबंध करना शामिल है। यह सुविधा उन अभ्यर्थियों को मिलेगी जिन्होंने वैकल्पिक विषय के तौर पर मैथिली को चुना हो।
दिल्ली में मैथिली व भोजपुरी बोलने वालों की बड़ी संख्या
दिल्ली सरकार के इस पैसले को कई लोग राजनीतिक चश्मे से भी देख रहा है क्योंकि यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब दिल्ली में विधानसभा चुनावों में कुछ ही वक्त रह गया है।दिल्ली में इन भाषाओं को बोलने वाले लोगों की तादाद अच्छी-खासी है व वह चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल की भाग्य का निर्णय करने में अहम किरदार रखते हैं।
वैकल्पिक विषय के तौर पर होगी मैथिली की पढ़ाई
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस बारे में घोषणा करते हुए कहा, ‘मैथिली दिल्ली के स्कूलों में आठवीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक वैकल्पिक विषय के तौर पर पढ़ाई जाएगी।दिल्ली के विद्यार्थी अब उर्दू व पंजाबी की तरह के तौर पर सीख पाएंगे। ‘ सरकार के मुताबिक दिल्ली में करीब 60 से 70 लाख मैथिली व भोजपुरी भाषी लोग रहते हैं। सिसोदिया ने बोला कि आप सरकार केन्द्र सरकार से भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का भी अनुरोध करेगी।