वैश्विक आतंकवाद निरोधक रणनीति (जीसीटीएस) की सातवीं समीक्षा पर प्रस्ताव पारित करने के लिए मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुई चर्चा में भाग लेते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस बात को माना है कि आतंकवाद का खतरा बहुत गंभीर और सार्वभौमिक है .
भारत ने कहा कि अमेरिका में 9/11 को हुए आतंकवादी हमले के 20 साल बाद आतंकवाद को ‘हिंसक राष्ट्रवाद’ और ‘दक्षिणपंथी चरमपंथ’ जैसी विभिन्न शब्दावली में विभाजित करने के प्रयास फिर से हो रहे हैं और विश्व को ”आपके आतंकवादी” और ”मेरे आतंकवादी” के दौर में नहीं लौटना चाहिए बल्कि इस समस्या का मुकाबला मिलकर करना चाहिए। इसे बिना किसी अपवाद के संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों के सामूहिक प्रयासों से ही पराजित किया जा सकता है।
2006 में इसे सर्वसम्मति से अपना कर संरा के सभी सदस्य देशों ने आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए समान रणनीतिक एवं संचालनात्मक कदम पर पहली बार सहमति जताई थी। राजदूत ने यह भी कहा कि इस रणनीति की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि सदस्य राष्ट्र प्रावधानों को गंभीरता से लागू करके और अपनी प्रतिबद्धताओं को निभाकर अपनी जिम्मेदारी अदा करें।