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आज फ़ादर्स डे के दिन जानते हैं हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार पिता-पुत्र के संबंधों के महत्व के बारे में…

 फादर्स डे हर वर्ष जून के तीसरे हफ्ते में मनाया जाता है. इस महीने का तीसरा रविवार पिता को समर्पित किया गया है. इस बार फादर्स डे 16 जून को मनाया जाएगा.फादर्स डे मनाने की आरंभ यूरोपियन राष्ट्रों में लगभग 109 वर्ष पहले हुई है, लेकिन सनातन धर्म में पिता का महत्व कई युगों पहले ही बता दिया था. त्रेतायुग  द्वापर युग के हिंदू धर्मग्रंथों में भी पिता-पुत्र के संबंधों को लेकर कुछ किस्से बताए गए हैं जिनका महत्व आज फादर्स डे पर बहुत है.

  • राजा शांतनु – पुत्र को दिया ख़्वाहिश मौत का वरदान

महाभारत के अनुसार, भीष्म के पिता राजा शांतनु थे. जब राजा शांतनु निषाद कन्या सत्यवती पर मोहित हो गए तब वे शादी का प्रस्ताव लेकर उसके पिता के पास गए. सत्यवती के पिता ने राजा शांतनु वचन मांगा कि उसकी पुत्री से उत्पन्न संतान ही राजा बनेगी, तब उन्होंने मना कर दिया. जब ये बात भीष्म को पता चली तो वे सत्यवती के पिता के पास गए वचन दिया कि वे आजीवन ब्रह्मचारी रहेंगे  सत्यवती की संतान की राजा बनेगी. इस तरह उन्होंने अपने पिता की ख़्वाहिश पूरी की. प्रसन्न होकर राजा शांतनु ने भीष्म को ख़्वाहिशमौत का वरदान दिया.

  • राजा दशरथ- पुत्र वियोग में निकले प्राण

अयोध्या के राजा दशरथ अपने सबसे बड़े पुत्र श्रीराम से बहुत प्रेम करते थे. वे श्रीराम को राजा बनाना चाहते थे, लेकिन अपने वचन के कारण उन्हें न चाहकर भी राम को वनवास पर भेजना पड़ा. वनवास पर जाने से पहले उन्होंने श्रीराम से ये भी बोला कि तुम मुझे बंदी बनाकर खुद राजा बन जाओ. श्रीराम के वनवास जाने के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने पुत्र वियोग में अपने प्राण त्याग दिए.

  • बाली – पुत्र को दिखाया ठीक रास्ता

रामायण के अनुसार, वानरराज बाली ने मरते समय अपने पुत्र अंगद को श्रीराम को सौंपा था, जबकि बाली की मौत श्रीराम के हाथों ही हुई थी. बाली जानता था कि श्रीराम ही उसके पुत्र अंगद का उद्धार कर उसकी शक्ति का सदुपयोग कर सकते हैं. बाली की दूरदृष्टिता के कारण ही अंगद ने श्रीराम के साथ रहते हुए युद्ध में जरूरी किरदार निभाई. अगर बाली अंगद को श्रीराम को समर्पित नहीं करता ता संभव है वह अपनी शक्ति का ठीक उपयोग नहीं कर पाता.

  • अर्जुन – लिया पुत्र की मौत का प्रतिशोध

अर्जुन भी अपने पुत्र अभिमन्यु से बहुत प्रेम करते थे. अभिमन्यु ने अर्जुन और श्रीकृष्ण से ही अस्त्र-शस्त्रों की एजुकेशन प्राप्त की थी. युद्ध में जब कौरवों ने अभिमन्यु का वध कर दिया, तब अर्जुन ने कसम खाई कि वह अगले दिन सूर्य ढलने से पहले जयद्रथ का वध कर देगा (क्योंकि जयद्रथ ने ही पांडवों को चक्रव्यूह में प्रवेश करने से रोक दिया था), नहीं तो खुदआत्मदाह कर लेगा. अपने वचन के अनुसार अर्जुन ने अगले दिन सूर्यास्थ होने से पहले जयद्रथ का वध कर अपने पुत्र अभिमन्यु की मौत का बदला ले लिया था.

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