तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान अपने नापाक इरादों में कामयाब नहीं हो रहा। को कश्मीर मुद्दे पर वह संयुक्त राष्ट्र में पहुंच गया, लेकिन यहां भी उसे मुंह की खानी पड़ी। चीन ने पाक से दोस्ती निभाने के लिए यह मुद्दा उठा तो दिया, बंद कमरे में 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्यों की बैठक हुई, लेकिन यहां चीन को छोड़कर बाकी सभी देश भारत के साथ खड़े नजर आए।
बैठक के ठीक पहले पाकिस्तान को दो बड़े झटके लगे हैं। पहला यूएनएससी ने बैठक में पाकिस्तान को शामिल करने की मांग ठुकरा दी है। पाकिस्तान न तो स्थायी सदस्य है न ही अस्थायी।दूसरा – चीन के अलावा किसी और स्थायी सदस्य ने पाकिस्तान का साथ नहीं दिया है। ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस और रूस का कहना है कि यह मुद्दा यूएन को नहीं, बल्कि दोनों देशों को मिलकर सुलझाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि 1971 के बाद यह पहला मौका है जब बंद कमरे में इस मुद्दे पर बात हुई। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने यूएनएससी को चिट्ठी लिखी थी।
चीन ने इसका समर्थन करते हुए बैठक बुलाने की मांग की थी। बैठक शुरू होने से ठीक पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से फोन पर बात की और कश्मीर मुद्दे पर यूएन में सहयोग मांगा। लेकिन अमेरिका का साथ नहीं मिला। रूस के प्रतिनिधि ने भी साफ कहा कि कश्मीर विवाद में संयुक्क राष्ट्र का कोई लेना-देना नहीं है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय विवाद है।