दिमाग के विकास में महत्व कान को भेदने की इस प्रक्रिया को करने से बच्चों के दिमागी विकास में सहयोग होता है. क्योंकि कान के निचले हिस्से यानि पालि में मेरिडियन केन्द्र होता है जो दिमाग के बांए हिस्से को दाएं हिस्से से जोड़ता है. एक्यूप्रेशर की थेरेपी के अनुसार जब इस हिस्से पर दबाव डाला जाता है तो दिमाग के विकास में तेजी आती है.
आंखों की लाइट को बढाने में करता है मदद कान को छिदवाने के बहुत सारे फायदे हैं, इसकी मदद से आंखों की लाइट को बढाने में मदद मिलती है साथ ही शरीर में ऊर्जा का संचार भी तेजी के साथ होता है.
सुनने की शक्ति में वृद्धि एक्युप्रेशर थेरेपी कहती है कि कान के जिस भाग पर छेदन किया जाता है उस भाग में मास्टर सेंसोरियल व मास्टर सेलेब्रल केन्द्र होते हैं. इन केंद्रों की मदद से बच्चों में सुनने की क्षमता का विकास होता है. एक्यूप्रेशर विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चों के कान में होने वाली सरसराहट या सीटी बजने जैसी समस्या से राहत मिलती है.
तनाव व अवसाद से राहत कान छिदवाने की प्रक्रिया को करने से तनाव व अवसाद की समस्या से राहत मिलती है. हिस्टीरिया की समस्या में ये प्रक्रिया लाभदायक है क्योंकि कान छेदने वाली स्थान पर सेलेब्रल ग्रंथि का केन्द्र होता है. एक्यूप्रेशर सिद्धांत बताते हैं कि इस स्थान पर दबाव पड़ने से दिमाग की किसी भी अस्वस्थता को दूर करने में मदद करता है जैसे ओसीडी, तनाव, अवसाद, चिंता.
पाचन शक्ति को बढाने में करता है मदद आयुर्वेद कहता है कि बच्चों में कर्ण भेदन करवाने से उनके पाचन शक्ति में सुधार होता है. भोजन को पचने में मदद करने के साथ ही इसकी मदद से मोटापे की समस्या से बच्चों को बचाया जा सकता है.
स्पर्म को बढाने में मदद बहुत से क्षेत्रों में लड़कों के कान छेदवाने की परंपरा होती है. इसका कारण है कि वहां के लोग यह मानते है कि लड़कों में कान भेदन की क्रिया करवाने से उनके स्पर्म में बढोत्तरी होगी व प्रजनन क्षमता बढेगी.
कान छेदने की प्रक्रिया से लिंग में भेद करना जब कभी भी कान छेदने होते हैं तो लड़कियों में बांए तरफ व लड़कों के दाहिने तरफ से आरंभ की जाती है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि बांया तरफ लड़कियों को व दांया भाग लड़कों को परिभाषित करता है.
बच्चों में ठीक समय क्या है कान छेदने