खब़र ब्रिटेन के कार उद्योग को लग रहे लगातार झटकों के बीच है कि फोर्ड ने अपने ब्रिजेंड प्लांट को अगले वर्ष बंद करने की योजना बनाई है, जिससे 1700 नौकरियां चली जाएंगी।बीती फ़रवरी में, होंडा ने बोला था। कि वह अपने स्विन्डन प्लांट को 2021 तक बंद कर देगी, जिससे लगभग 3500 नौकरियां चली जाएंगी, वहीं जगुआर लैंड रोवर व निसान भी उत्पादन व नौकरियों में कटौती कर रहे हैं। दुनिया भर के कार निर्माता कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, दूसरी तरफ़ पहले के मुकाबले लोग कम कारें खरीद रहे हैं। तो क्या वजह है की निर्माता अपने पांव पीछे खींच रहे हैं? आइये जानते पूरी जानकारी विस्तार सेआपकी जानकारी के लिए बता दे कि कई वर्षों तक ऊंची विकास दर के बाद वैश्विक कार बाज़ार आम तौर पर 2018 में मंदा था। इसका मुख्य कारण संसार के सबसे बड़े मार्केट चाइना में मांग में कमी आना था। कार उद्योग की वेबसाइट ‘जस्ट-ऑटो’ के संपादक डेव लेगेट कहते हैं कि चाइना में अच्छा कारोबार करते आ रहे कार निर्माताओं के लिए ये एक झटका था।वो कहते हैं, “वॉशिंगटन व बीजिंग के बीच चल रहे व्यापार तनाव ने चाइना में आम तौर पर भरोसे को प्रभावित किया है। अर्थव्यवस्था वैसे भी धीमी हो रही थी, लेकिन इसने कार बाज़ार पर व प्रभाव डाला। “जगुआर लैंड रोवर में अपने ख़राब प्रदर्शन की वजह चाइना में मांग की कमी को बताया, जबकि फ़ोर्ड ने व्यापार शुल्कों के कारण अमरीका में एक चाइना निर्मित फ़ोर्ड फ़ोकस बेचने की योजना को वापस ले लिया। उपभोक्ताओं का भरोसा कम होने के कारण दो बड़े कार बाज़ार पश्चिमी यूरोप व अमेरिका में मांग में कमी आई व इसका भी चाइनाकी मंदी पर प्रभाव हुआ। लेगेट कहते हैं, “प्रतिस्पर्धा बढ़ गई, जो इसे सभी के लिए व चुनौतीपूर्ण बना रहा है। ”
बड़ा सरदर्द यूरोप में कार उद्योग के लिए उत्सर्जन संकट भी बना हुआ है। वायु गुणवत्ता की चिंताओं व कर में परिवर्तन के कारण डीज़ल कारों की बिक्री में बड़ी गिरावट आई है, जिससे 2018 में ब्रिटेन में में नयी कार पंजीकरण कराने में 7 प्रतिशत की कमी आई है। और उससे भी ज़्यादा चुनौतीपूर्ण शायद नए कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन मानकों का लाना था जोकि ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है, लेकिन इससे कारें महंगी हो गईं। साल 2021 से, निर्माताओं को यूरोपीय संघ में बड़े ज़ुर्माना का सामना करना पड़ेगा यदि वे तय उत्सर्जन मानकों का पालन नहीं करते हैं व ये मानक लगातार कड़े होते जाएंगे। एवरकोर आईएसआई में एक मोटर वाहन उद्योग विश्लेषक, अर्न्ट एलिंघोस्ट के अनुसार, “कार निर्माताओं को कारों में 1,000 यूरो (लगभग 8,000 रुपये) के उपकरण को व जोड़ना होगा तब जाकर वे नए नियमों का पालन कर पाएंगे। “”इसका मतलब है कि लोग कार कम खरीदेंगे, उपभोक्ता का भरोसा जिसके चलते कम होगा। ”