योग को वेद और उपनिषद् के समय से ही अपनाया जा रहा है लेकिन महर्षि पतंजलि द्वारा प्रारम्भ किए गए अष्टांग योग के बाद से इसका इस्तेमाल बढ़ गया है. आयुर्वेद में योग का जिक्र है, जिसमें मानसिक फायदों के बारे में बताया गया है. बेकार जीवनशैली और गलत मुद्रा में बैठने और चलने से जीवनशैली संबंधी रोगों को रोकने में योग अच्छा है.
ये हैं फायदे
शारीरिक : मांसपेशियों में लचीलापन आने से प्रसव के दौरान गर्भवती को कम कठिनाई आती है. खिलाडिय़ों को स्पोट्र्स इंजरी की संभावना घटती है. फेफड़ों की क्षमता बढ़ जाती है.
मानसिक : दिमाग में उपस्थित फील गुड डीहाइड्रोएपियनड्रोस्ट्रोन (डीएचएई) हार्मोन के बढऩे से व्यवहार खुशमिजाज होता है. तनाव का स्तर स्वत: घटता है.
कब कैसे करें योग
सुबह चार से सात बजे के बीच (ब्रह्ममुहूर्त) योग क्रिया खुली और हवादार स्थान करें. रंग से आदमी के स्वभाव प्रभावित होता है. पीला, क्रीम, सफेद या हल्दी रंग के कपड़े मन-दिमाग को शांत-शीतल रखते हैं. योगासन करते समय ढीले कपड़े पहनें. 10 मिनट से योग प्रेक्टिस प्रारम्भ कर क्षमतानुसार अवधि बढ़ाएं. इस दौरान शौच आदि वेग न रोकें.
खानपान
यदि आप नियमित योग या व्यायाम करते हैं तो एक बार में भोजन लेने की बजाय थोड़ा-थोड़ा बार-बार खाएं. इससे मेटाबॉलिज्म ठीक रहेगा. योगाभ्यास के कम से कम 10-15 मिनट बाद नारियल पानी, फलों का रस, नींबू पानी, छाछ, लस्सी लें. एक घंटे बाद भोजन लें. भोजन से पहले सलाद लें, जितना हो सके हल्का, सुपाच्य भोजन लें.
सावधानियां
भोजन के तुरंत बाद योग न करें. गंभीर रोग, दर्द और महिलाएं माहवारी या प्रेग्नेंसी में जटिल परिस्थितियों में न करें. ब्रह्ममुहूर्त में उठकर शौच से निवृत्त हुए बिना कोई योग क्रिया न करें. रातभर तांबे के लोटे में रखा पानी पीकर शौच से निवृत्त हों फिर ऊषाकाल में सूर्यनमस्कार करें.