प्यूबर्टी के दौरान 16 से 20 वर्ष की आयु पूर्ण विकास की होती है जिसमें किशोर युवावस्था की ओर बढ़ता है. इसे टीन-एज अवस्था भी कहते हैं. ऐसे में वह घरवालों व दोस्तों के बीच अच्छे तौर-तरीके तो सीखता ही है साथ ही कई बार बुरी लतों के लिए भी आकर्षित होता है. अभिभावक इस आयु में बेहद अहम किरदार निभाते हैं. जानते हैं कि इस दौरान बच्चे के शरीर को किन अहम तत्त्वों की आवश्यकता होती है-लंबाई बढऩे की प्रक्रिया होती पूरी –
किशोर के स्वभाव में परिवर्तन आने इस आयु में लगभग बंद हो जाते हैं जिससे उसका गुस्सा शांत रहता है व वह हर बात का सोच-समझकर जवाब देता है. 20 की आयु तक सामान्यत: लंबाई बढ़ाने वाली हड्डियों में फ्यूजन होने से लंबाई बढऩे की प्रक्रिया बंद हो जाती है. लड़कों में वॉइस बॉक्स पूरी तरह विकसित हो जाता है.
ओबेसिटी का खतरा-
उ म्र के मुताबिक वजन, लंबाई के अनुसार न हो तो रोगों की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में लड़कियों में माहवारी का अनियमित होना व पीसीओडी की परेशानी ज्यादा होती है. यदि खानपान की आदत बेकार है तो उसे ओबेसिटी भी हो सकती है जो भविष्य में उसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, दिल रोग आदि से घेर सकती है. कुछेक मामलों में कम हाइट भी कठिनाईपैदा करती है.
खानपान में जंक और फास्ट फूड के बजाय पौष्टिक चीजों को चुनें. इस आयु में सही-गलत को पहचानने की समझ बच्चे में विकसित हो रही होती है इसलिए माता-पिता सिगरेट, तंबाकू, अल्कोहल, ड्रग्स आदि से होने वाले नुकसान के बारे में बताएं. उसका डेली रुटीन ठीक हो, जिसमें उसे समय पर सोने और उठने, भोजन करने, पढ़ने, आराम करने और तनाव से दूर रहने की सलाह दी जाए. लड़के-लड़की दोनों को स्वास्थ्य के प्रति सजग बनाएं ताकि वे किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक कठिनाई को छिपाएं नहीं बल्कि माता-पिता या घर में अन्य से साझा कर सकें. उसे इंडोर व आउटडोर फिजिकल एक्टिविटी के लिए प्रेरित करें.
20 से पहले जिमिंग ठीक नहीं –
आकर्षक दिखने व मस्कुलर बॉडी की चाह में लड़के और लड़कियां दोनों ही आजकल कम आयु में जिम जाकर वर्कआउट करना पसंद करने लगे हैं. ऐसे में वे फिजिकली मजबूत तो हो जाते हैं लेकिन शरीर में जो परिवर्तन नेचुरल ढंग से होने चाहिए वे नहीं होते. जिससे मांसपेशियों में खिंचाव होने के साथ हड्डियों की ठीक ग्रोथ नहीं होती व हार्मोन्स अच्छा से रिलीज न होने के कारण हार्मोन इंबेलेंस की समस्या सामने आती है.
ध्यान रखें : जिमिंग करने की ठीक आयु लड़कियों के लिए 18 वर्ष के बाद व लड़कों के लिए 20 वर्ष बाद की होती है.
कैल्शियम से हड्डियों की मजबूती –
शरीर के अहम अंगों की कार्यक्षमता को बरकरार रखने के लिए बच्चे की डाइट में हाई प्रोटीन व कैल्शियम युक्त भोजन होना चाहिए. बॉडी बिल्डिंग के लिए विटामिन-बी व सी से भरपूर चीजें जैसे केला, पपीता, संतरा, पालक, अंडे, शहद, फिश, दाल आदि ज्यादा लें. कैल्शियम व अन्य महत्वपूर्ण न्यूट्रिएंट के लिए डाइट में दूध और दूध से बनी चीजें व सूखे मेवों को शामिल करें. मौसमी सब्जियां व फल शरीर की आवश्यकता को पूरा करने में सहायक होते हैं.