युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह, धोनी के सबसे बड़े आलोचकों में से एक रहे हैं। पिछले कुछ सालों में शायद ही योगराज ने धोनी की आलोचना करने का कोई मौका छोड़ा होगा। विश्व कप 2019 के बाद से तो योगराज ने जैसे धोनी के खिलाफ पूरा मोर्चा ही खोल दिया और विभिन्न न्यूज चैनल्स पर धोनी को ना केवल क्रिकेट की गंदगी बताया था बल्कि यह भी कहा था कि धोनी ने जो किया है उसको भुगतने का समय आ चुका हैं। यहीं नहीं उन्होंने यह भी दावा किया था कि धोनी ने जानबूझकर सेमीफाइनल मैच में धीमी बल्लेबाजी की जिससे की विराट कोहली के नाम विश्व कप विजेता कप्तान का सम्मान ना जुड़ सके।
लेकिन अब लगता है कि योगराज ने इस मामले पर पूरी तरह से पलटी मार ली है। अक्सर अपने बयान से युवराज सिंह को असहज करने वाले योगराज ने अब खुद को धोनी का फैन बताया है। योगराज अपने इस बयान से भी पलट गए हैं कि धोनी ने सेमीफाइनल मैच में भारत को जानबूझकर हराया था। योगराज ने चैनल 24 स्पोर्ट्स को दिए इंटरव्यू में ये बात कही। इस इंटरव्यू में योगराज ने उपरोक्त सभी बातों को दोहराते हुए कहा- ‘मैंने ऐसा कभी नहीं कहा। मैंने कभी भी धोनी को हार (सेमीफाइनल हार) के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया। ये मेरा वर्जन नहीं है। आपने गलत आदमी से गलत सवाल पूछा है।’
बता दें कि धोनी इस समय क्रिकेट से दूर हैं और प्रादेशिक सेना में अपनी बटालियन के साथ दो महीने की ट्रेनिंग करने का फैसला कर चुके हैं। जब योगराज ने इस पर सवाल किया गया तो उन्होंने धोनी के फैसले की तारीफ की। उन्होंने कहा कि हर किसी को इस तरह से देश की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने कहा- ‘इसमे कोई शक नहीं है कि धोनी देश की सेवा लंबे समय से कर रहे हैं। वे दिग्गज खिलाड़ी हैं। सच यह है कि मैं धोनी का फैन हूं। जिस तरह से उन्होंने क्रिकेट खेला और टीम का नेतृत्व किया और जिस तरह के फैसले लिए, वह बहुत अच्छे रहे हैं।’
योगराज के इस यू-टर्न से हर कोई हैरान नजर आ रहा है। इसके पीछे की वजह क्या है इसका भी पता नहीं चल सका है। वैसे आपको बता दें कि योगराज इससे पहले भी जब धोनी की आलोचना करते रहे हैं तब भी बतौर खिलाड़ी उनकी तारीफ करने में कभी भी नहीं हिचकिचाए हैं। योगराज ने हालांकि धोनी को हमेशा व्यक्तिगत तौर पर काफी बुरा-भला कहा। योगराज के अनुसार धोनी की कप्तानी में युवराज को टीम से बाहर करने का फैसला लिया गया था। इसके पीछे वे धोनी को ही जिम्मेदार मानते हैं। योगराज का कहना था कि युवराज, धोनी से सीनियर खिलाड़ी थे इसलिए वह धोनी की चाकरी नहीं कर सकते थे। जिसके चलते धोनी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके युवराज को टीम से बाहर रखने में अहम भूमिका निभाई।