आमतौर पर महिलाएं पीरियड्स के दौरान संभोग करने से बचती हैं। लेकिन ये भी बोला जाता है कि पीरियड्स में संभोग सरल होता है जिसमें आपको ज्यादा तकलीफ नहीं होती। लेकिन पीरियड्स में संभोग न करने की बड़ी वजह होती है लगातार होने वाली ब्लीडिंग से uneasy फील होना। लेकिन वहीं कुछ स्त्रियों के लिए पीरिड्स के दौरान संभोग करना आम दिनों की तुलना में कहीं अधिक प्लेजर देनेवाला होता है। जानिए उसके बारे में किस तरह से
बढ़ जाती है संभोग की इच्छा
पीरिड्स के दौरान स्त्रियों के शरीर में बड़े स्तर पर हॉर्मोनल चेंजेज होते हैं। इस कारण कई स्त्रियों में उत्तेजना बढ़ जाती है व वे पीरियड्स के दौरान संभोग को ज्यादा इंजॉय करती हैं।
दर्द में आराम
पीरियड्स के दौरान आमतौर पर स्त्रियों को क्रैम्प्स की परेशानी होती है। इसकी तकलीफ कई बार असहनीय भी हो जाती है। लेकिन जो महिलाएं पीरियड्स के दौरान संभोग इंजॉय करती हैं, उन्हें क्रैंम्प्स में राहत महसूस होती है।
टच थेरपी का असर
कई स्त्रियों को पीरियड्स के दौरान संभोग से पहले पार्टनर के साथ फॉरप्ले इंजॉय करना ही दर्द में राहत देनेवाला होता है। इसकी वजह होते हैं हैपी हॉर्मोन्स व कडलिंग का टच थेरपी की तरह कार्य करना।
हैपी हॉर्मोन्स का रिलीज होना
पीरियड्स पेन के दौरान पार्टनर द्वारा आपको प्यार से सहलाना व पैंपर करना दर्द की पीड़ा को कम करता है। फॉरप्ले के दौरान मस्तिष्क में इन्डॉर्फिन हॉर्मोन रिलीज होता है, जो मन को खुशी देता है व दर्द का प्रभाव कम करता है।
Heavyness में राहत
पीरियड्स के दौरान कडलिंग व संभोग स्त्रियों को दो ढंग से हेल्प करता है। कई स्त्रियों को संभोग के बाद पीरियड्स के दौरान बॉडी में फील होनेवाली हेविनेस कम हो जाती है। तो कई स्त्रियों को हेवी ब्लीडिंग से राहत मिलती है।
चिड़चिड़ाहट में कमी
पीरियड्स के दौरान हॉर्मोन्स परिवर्तन के कारण स्त्रियों को मूड स्विंग की परेशानी होती है। कई स्त्रियों में चिड़चिड़ाहट बढ़ जाती है। लेकिन इस दौरान संभोग इंजॉय करने वाली स्त्रियों में हैपी हॉर्मोन्स बढ़ने के कारण इस कठिनाई में राहत महसूस होती है।