जम्मू-कश्मीर का मानचित्र राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 के कानून बनने के बाद बदलने वाला है। ऐसे में लद्दाख को केंद्र शासित राज्य घोषित करने के बाद अब सामरिक दृष्टि से अहम करगिल जिला जम्मू-कश्मीर का हिस्सा नहीं रहेगा। दरअसल, जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक के प्रावधान के अनुसार, लद्दाख को करगिल और लेह जिले को मिलाकर केंद्र शासित राज्य बनाने की तैयारी की जा रही है।
जम्मू-कश्मीर को मिले 22 जिले ऐसे में जो बाकी जिले बचे हैं, उन्हे मिलाकर जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित राज्य बनाया जाएगा। वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि कुल 22 जिले अब जम्मू-कश्मीर की सीमा के अंतर्गत आएंगे। बता दें, करगिल जिला न सिर्फ पाकिस्तान प्रशासित गिलगिट बाल्टिस्तान से घिरा हुआ है बल्कि यह नियंत्रण रेखा के काफी नजदीक भी है। मालूम हो साल 1999 में करगिल ही भारत-पाकिस्तान के बीच हुई लड़ाई का गवाह बना था।
उस दौरान करगिल की चोटियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा कर लिया था, जिसके बाद इसे मुक्त करवाने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच भीषण युद्ध हुआ था। युद्ध के बाद करगिल की चोटी पर भारतीय सेना ने तिरंगा भी फहराया था, जिसकी तस्वीर आज तक हर भारतीय के दिल में बसी है। यही नहीं, आज भी भारतीय इस तस्वीर को जरूर याद करते हैं।
वैसे बाद जम्मू-कश्मीर में जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक 2019 के बाद कई प्रशासनिक और विधायी बदलाव होने वाले हैं। इन बदलावों के बारे में आज हम चर्चा करेंगे और बताएँगे कि आर्टिक्ल 370 हटने के बाद राज्य में क्या-क्या बदलाव होने वाले हैं।
5 पॉइंट्स में जानें सभी बदलाव:
1.केंद्र सरकार अब लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर की मदद के लिए सलाहकार नियुक्त करेगी।
2.जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित राज्य हो गया है। इस वक़्त राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व चार मौजूदा सांसद कर रहे हैं लेकिन अब वह केंद्र शासित राज्यों का प्रतिनिधित्व करेंगे। साथ ही, इनके कार्यकाल में कोई बदलाव नहीं होगा।
3.लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से अभी छह सांसद मौजूद हैं। इनके कार्यकाल में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका मतलब वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। इसके बाद जम्मू-कश्मीर से पाँच तो लद्दाख एक सांसद ही होगा।
4.अब अनुसूचित जाति और जनजाति को नई जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आबादी के अनुपात में रिज़र्वेशन मिलेगा। साथ ही, अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल पांच साल का होगा।
5.राज्य के लिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा किसी भी मामले पर कानून बना सकती है। मगर अब से पब्लिक ऑर्डर और पुलिस के मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार विधानसभा के पास नहीं होगा।