पेट में लगातार दर्द के साथ भारीपन व हाथ-पैर में कमजोरी नॉन-अल्कोहल स्टीटो हेपेटाइटिस के लक्षण हैं. इस बीमारी में लिवर फैटी हो जाता है. उपचार में लापरवाही पर यह लिवर सिरोसिस व कैंसर में भी तब्दील होने कि सम्भावना है. केजीएमयू के डॉक्टरों के मुताबिक, यहां आने वाले पेट के हर तीसरे मरीज का लिवर फैटी मिल रहा है. यही नहीं, पिछले पांच वर्ष में ऐसे मरीज 15% बढ़े हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, इस बीमारी से सिर्फ बेहतर खानपान के जरिए बचा सकता है.
हर वर्ष करवाएं फाइब्रो स्कैन
पीजीआई के गैस्ट्रोएंट्रॉलाजिस्ट डॉ। समीर महेंद्रा ने बताया कि पीजीआई में प्रतिदिन फैटी लिवर के 10 से 15 मरीज आ रहे हैं. इनमें सबसे ज्यादा केस शराब पीने वालों के हैं. उन्होंने बताया कि नॉन-अल्कोहल स्टीटोहेपेटाइटिस ऐसी बीमारी है, जो शराब पीने वाले को भी हो सकती है व शराब न पीने वाले को भी. इस पर नजर रखने के लिए हर वर्ष फाइब्रोस्कैन, लिवर फंक्शन टेस्ट व अल्ट्रासाउंड जाँच करवाते रहना चाहिए.
जरूरत से ज्यादा न खाएं
केजीएमयू के गैस्ट्रोएंट्रॉलजी विभाग के डॉ। सुमित रुंगटा ने बताया कि विभाग में प्रतिदिन करीब 400 मरीज आते हैं. लम्बे अरसे से हर तीसरे मरीज का लिवर फैटी मिल रहा है. डॉ।सुमित के मुताबिक, एक दिन में एक पुरुष को 2500 व एक महिला को 2000 कैलोरी की आवश्यकता होती है. इसके उलट लोग फास्ट फूड, मिठाई, चावल व शराब के सेवन के जरिए ज्यादा कैलोरी लेते हैं. इसका सीधा प्रभाव लिवर पर पड़ता है.
ऐसे बचें फैटी लिवर से
फैटी लिवर की समस्या पर नियंत्रण रखना व इससे होनेवाली परेशानियों से बचना बहुत सरल है. बस प्रभावित आदमी को अपने खान-पान व डेली रूटीन पर थोड़ा नियंत्रण रखना होता है.
रात में न खाएं चावल: चावल में ज्यादा कैलोरी होती है. रात में चावल न खाएं तो बेहतर होगा. तेल, मिठाई, बर्गर, पिज्जा जैसे वेस्टर्न फूड से भी परहेज करें.
फल-सब्जियां खाएं: फलों, सब्जियों, साबुत अन्न व स्वस्थ वसा से भरपूर आहार का सेवन करें. नियमित तौर पर प्रतिदिन 45 मिनट व्यायाम भी करें.
कैलरी काउंट करें: अगर आप अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं तो प्रतिदिन कैलरी पर भी नजर रखें. अगर वजन ज्यादा नहीं है तो स्वस्थ आहार करें.